शेर और लोमड़ी की दुश्मनी

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एक बार एक शेर और लोमड़ी थी जो कि ज्यादा अच्छे मित्र नहीं थे हमेशा दोनों में अनबन चलती रहती थी ,फिर भी दोनों साथ-साथ रहते तथा खेती करते थे ‘
एक बार ऐसा हुआ कि लोमड़ी किसी कारणवस बाहर जंगल में गयी और काफी समय तक जंगल में ही रही ‘ इसी बीच शेर के मन में एक सुझाव आया कि लोमड़ी भी बाहर गयी हुई है और यहां पर मैं अकेला हूँ और चाहूँ तो सारा सामान सहित बच्चों को भी लेके चला जाऊं ‘ हुआ भी कुछ ऐसा ही जब लोमड़ी वापस अपने घर पर आयी तो देखा तो यहां पर कुछ नहीं था सिवाय थोड़े से अनाज के’ लोमड़ी बहुत दुःखी हुई और वहां से चल पड़ी ‘
“लोमड़ी”-कहाँ है मेरे बच्चे ,कैसे है न जाने ‘
और काफी गुस्से से चल पड़ी ‘
तेजी से आगे बढती रही इसी बीच वह एक बड़े गड्ढे में गिर गई ,वहां पर उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था इस कारण लोमड़ी बड़ी जोर-जोर से रो रही थी ‘
फिर किसी की मदद न मिलने पर लोमड़ी के मन में एक सुझाव आया और उसने गड्ढे में पड़े बड़े-बड़े लकड़ों को खुभोया और वह वहां से बाहर निकल गई ‘ लोमड़ी को एहसास हो रहा था कि आज उनके बच्चे नहीं बच पाएंगे ,क्योंकि शेर उनके बच्चों को मार देगा ‘
जब लोमड़ी चल रही थी तो उस पर एक और संकट आ गया ,कुत्ते तथा और कई जानवर उसके पीछे भागने लगे लेकिन लोमड़ी वहां से बच निकली ‘
शेर चलते-चलते थक गया था इस कारण कुछ समय के लिए सो गया , उसे यह ज़रा भी एहसास नहीं था कि उनके साथ क्या होगा ‘ शेर ने सोते वक़्त एक योजना बनाई कि कहीं ये लोमड़ी के बच्चे भाग न जाएं इसलिए उन्होंने अपने झोले में से जाली निकाली और उसने लोमड़ी के बच्चों को डाल दिया ‘
शेर काफी थका हुआ था इस कारण गहरी नींद में सो गया ‘ इसी बीच लोमड़ी को बीच रास्ते में चूहा मिल गया ,
“चूहा”-कहाँ जा रही हो बहिन ‘
“लोमड़ी”-क्या बताऊँ भईया शेर ने मेरे बच्चों सहित मेरे सामान को भी लेके भाग गया ‘
“चूहा”-मैं तेरी मदद करूँगा ,मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा ‘
इस प्रकार दोनों चल पड़े ‘ आगे देखा तो शेर सो रहा था ; चूहे ने बड़ी ही तेजी से जाली को दांतों से कुतरकर लोमड़ी के बच्चों को बाहर निकाल लिया और लोमड़ी बड़ी खुशी से वहां से अपने बच्चों और चूहे सहित सामान लेकर अपने घर चली गयी ‘ शेर दुःखी होकर वहीं पर रोने लगा ‘
“शेर”-कितनी मेहनत करके पकड़ा था ,लेकिन कुछ नहीं मिला ‘

राजू सुथार ‘स्वतंत्र’fox

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