मन ने तेरा व्रत लिया !

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जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ !
उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ !!
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हम ये सीखें चाँद से, होता है क्या प्यार !
कुछ कमियों के दाग से, टूटे न ऐतबार !!
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मन ने तेरा व्रत लिया, हुई चांदनी शाम !
साथी मैंने कर दिया, सब कुछ तेरे नाम !!
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मन में तेरा प्यार है, आँखों में तस्वीर !
हर लम्हें में है छुपी, बस तेरी तासीर !
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अब तो मेरी कलम भी, करती तुमसे प्यार !
नाम तुम्हारा ही लिखे, कागज़ पर हर बार !
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मन चातक ने है रखा, साथी यूँ उपवास !
बुझे न तेरे बिन परी, अब सौरभ की प्यास!!
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तुम राधा, मेरी बनो, मुझको कान्हा जान !
दुनिया सारी छोड़कर, धर लें बस ये ध्यान !!
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मेरे गीतों मैं बसी, बनकर तुम संगीत !
टूटा हुआ सितार हूँ, बिना तुम्हारे मीत !!
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माने कब हैं प्यार ने, ऊँच-नीच के पाश !
झुकता सदा ज़मीन पर, सज़दे में आकाश !!

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