सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के साथ पाटियाला हाउस अदालत परिसर में 15 और 17 फरवरी को कुछ वकीलों द्वारा की गई मारपीट की घटना की स्वतंत्र जांच की मांग ‘जायज’ है। न्यायाधीश जे. चेलेमेश्वर और न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की खंडपीठ ने कहा, “ऐसी स्थिति को संभालने में पुलिस ने दक्षता दिखाई..वे (याचिकाकर्ता) स्वतंत्र जांच की जो मांग कर रहे हैं, वह जायज है।”
खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने पुलिस से उस अजनबी को पकड़ने के लिए कहा, जिसने कथित रूप से ‘होल्डिंग रूम’ में कन्हैया को चोट पहुंचाई थी। लेकिन जब बुलाने पर पुलिस उपायुक्त वहां पहुंचे तो वह आदमी जा चुका था।
न्यायमूर्ति चेलेश्वरम ने कहा, “पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? जाहिर है किसी ने कार्रवाई नहीं की। अगर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल अजनबी को पकड़ने को कहते हैं तो वह पकड़ा क्यों नहीं गया।”
अदालत का यह अवलोकन सर्वोच्च न्यायालय की वकील कामिनी जायसवाल द्वारा तीन वकीलों- विक्रम सिंह चौहान, यशपाल सिंह और ओम शर्मा के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है, जिसमें कथित रूप से शीर्ष अदालत के 17 फरवरी को दिए गए आदेश की जानबूझकर अवहेलना और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है।
जब दिल्ली पुलिस ने अदालत में किसी अजनबी की मौजूदगी से इन्कार किया तो अदालत ने दिल्ली पुलिस की तरफ से हाजिर वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत सिंह से कहा कि वे रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट को देखें जिन्होंने अजनबी की मौजूदगी की पुष्टि की है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में 26 फरवरी को केंद्र सरकार और दिल्ली से जवाब मांगा था।
शीर्ष अदालत ने इसके अलावा कथित रूप से आदेश की जानबूझकर अवहेलना और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप का आरोप में तीन वकीलों को भी नोटिस जारी किया है।