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बाबुल सुप्रियो को सफेद बाघ के दीदार से हुआ ‘कहो ना प्यार है’ का अहसास

बाबुल सुप्रियो को सफेद बाघ के दीदार से हुआ ‘कहो ना प्यार है’ का अहसास

केन्द्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री और जानेमाने पाश्र्व पायक बाबुल सुप्रियों ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मुकुंदपुर में दुर्लभ प्रजाति के सफेद बाघ के दीदार किये और उन्होंने इस शानदार वन्यप्राणी की शान में मशहूर गीत ‘कहो ना प्यार है’ गुनगनाया।

सुप्रियो ने प्रदेश के उर्जा एवं जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के साथ रीवा जिले के मुकुंदपुर में स्थित ‘मोहन व्हाइट टाइगर सफारी’ का कल भ्रमण किया और सफेद बाघ के दीदार किये। सफेद बाघ को देखना कैसा अनुभव रहा के सवाल पर सुप्रियो ने संवाददाताओं से सामने मशहूर गीत ‘कहो ना प्यार है’ का मुखड़ा गाकर सुनाया।

केन्द्र की मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे करने के मौके पर केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ रीवा में कल कई कार्यकमों में शामिल हुए। इस दौरान वह रीवा जिले में स्थित मुंकुंदपुर की मोहन व्हाइट टाइगर सफारी भी गये और वहां सफेद बाघ को देखा।

सुप्रियो ने शुक्ल और प्रदेश के अधिकारियों द्वारा विंध्य के गौरव सफेद बाघ को इस क्षेत्र में पुर्नस्थापित करने के लिये व्हाइट टाइगर सफारी के निर्माण हेतु किये गये प्रयासों की तहे-दिल से सराहना करते हुए कहा, ‘‘सफारी में प्रवेश करते ही सफेद शेर :बाघ: को सामने देखना वाकई में एक रोमांचकारी अनुभव था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस जानकारी ने काफी प्रभावित किया कि सफेद बाघ मूल रूप से विंध्य क्षेत्र का वन्यप्राणी है और किस प्रकार रीवा के पूर्व महाराजा मार्तण्ड सिंह ने पहले सफेद बाघ मोहन को पकड़ा और पाला था। इसके बाद उन्होंने सफेद बाघों का यहां संरक्षण किया और दुनिया के कई हिस्सों ने इस नस्ल के बाघों को यहां से भेजा।’’ वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद बाघों की उत्प*ि++++++*ा विंध्य के रीवा जिले से मानी जाती है। यहां के राजा मार्तण्ड सिंह को 1951 में पहला सफेद बाघ (मोहन) मिला था और आज दुनिया में जितने भी सफेद बाघ हैं, उन्हें उसी मोहन का वंशज बताया जाता है। वक्त गुजरने के साथ विंध्य क्षेत्र सफेद बाघ विहीन हो गया। बीते कुछ वष्रो में चली कोशिशों ने अंतत: मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का रूप लिया है।

( Source – पीटीआई-भाषा  )

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