निर्देशक नागेश कुकुनूर ने अपनी फिल्म ‘इकबाल’ या आने वाली फिल्म ‘धनक’ में निशक्त चरित्रों की कहानियों को संवेदनशील तरीके से पेश किया है और उनका कहना है कि उनका लक्ष्य हमेशा उनकी मजबूती पर ध्यान केन्द्रित करना रहता है ना कि उनकी कमजोरी पर।
‘डोर’ के 49 वर्षीय निर्देशक ने बताया कि भारतीय फिल्मों में जिस तरह से निशक्तता को प्रस्तुत किया जाता है वह हमेशा उनके लिए विषय रहा है।
कुकुनूर ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे लगता है कि निशक्तता को जिस तरह से पेश किया जाना चाहिए वह नहीं किया गया है। मेरी फिल्मों में चरित्र के शारीरिक स्थिति के बारे में कभी उल्लेख नहीं किया गया है। मेरी कहानियां कभी भी निशक्तता पर नहीं रहता है। वे चरित्रों के बारे में होती हैं जो हमारे जैसे जीवन में कुछ करना चाहते हैं। वे अलग नहीं हैं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘मैंने कभी भी इन लोगों को बैठे हुये और रोते हुये नहीं देखा है। निशक्त को जिस तरह से पर्दे पर दिखाया गया है वह मेरी बुनियादी समस्या रही है।’’ मनीष मुंदरा, नागेश कुकुनूर और एलाहे हिपतूल द्वारा निर्मित ‘धनक’ 17 जून को प्रदर्शित होगी।
इस फिल्म में बाल कलाकार हेतल गड्डा और क्रिश छाबरिया परी और छोटू की भूमिका में हैं।
( Source – पीटीआई-भाषा )