इंपैक्ट इन्वेस्टर्स काउंसिल (आईआईसी), क्लाइमेट कलेक्टिव और अरेट एडवाइजर्स के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक भारत में पिछले 5 वर्षों के दौरान जलवायु से जुड़े 120 टेक स्टार्टअप्स ने 1.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा धनराशि एकत्र की है। भारत में जलवायु परिवर्तन संकट की गंभीरता को देखते हुए, कम कार्बन वाली टेक्नोलॉजी पर आधारित इन स्टार्टअप्स के लिए नेट जीरो ट्रांज़ीशन का लक्ष्य हासिल करना जरूरी है और यह रिपोर्ट इस बात को स्थापित करती है कि यह स्टार्टअप्स एक विकास यात्रा के मुहाने पर हैं।

इस दिशा में वित्तपोषण में भी सतत वृद्धि देखी गयी है। साल 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण हुई गिरावट से पहले, वर्ष 2016 (18 सौदे, 102 मिलियन) और 2019 (58 सौदे, 506 मिलियन) के बीच इस क्षेत्र में हुई इक्विटी सौदों के आकार और मूल्य दोनों में ही सतत वृद्धि दर्ज की गई।

अग्रणी भूमिका निभाने वाले क्षेत्र में सस्टेनेबल मोबिलिटी ने सबसे अग्रणी भूमिका निभाई। उसके बाद ऊर्जा क्षेत्र का योगदान रहा। जलवायु के प्रति स्मार्ट कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन तथा सर्कुलर इकोनॉमी और पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधन वगैरह ऐसे अन्य उप-वर्ग है जो नए और नवोन्मेषी बिजनेस मॉडल्स के साथ-साथ निवेश में वृद्धि के मामले में धीरे धीरे रफ्तार पकड़ना शुरू कर चुके हैं।

यह सभी अभी शैशवावस्था में है और इन्हें मुख्यधारा में लाने की जरूरत है।

कुल निवेश प्रवाह में सेक्टर की भागीदारी केवल 9% है (इसमें वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि इत्यादि शामिल हैं)। ज्यादातर सौदे अपनी शुरुआती अवस्था में हैं और आकार में छोटे हैं। 68% को शुरुआती स्तर की फंडिंग मिली है। वहीं, लेन-देन का 83% हिस्सा आकार में 5 मिलियन डॉलर या उससे कम है। बड़ी संख्या में निवेशकों और उद्यमियों का मानना है कि मौजूदा प्रणाली में धैर्यपूर्ण पूंजी निवेश की कमी सबसे बड़ी कमजोरियों में से एक है।

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