
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2008 में मालेगांव में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को आज जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए यह फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसने पुरोहित को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है।
पुरोहित ने 17 अगस्त को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि वह ‘‘राजनीतिक खेल’’ में फंस गये हैं और नौ वर्षों से जेल में बंद हें।
पुरोहित ने उन्हें जमानत नहीं देने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गये थे।
विशेष मकोका अदालत ने पहले फैसला दिया था कि एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पुरोहित और नौ अन्य लोगों के खिलाफ गलत तरीके से मकोका कानून लगाया है।
चार हजार पन्नों के आरोपपत्र में यह आरोप लगाया गया है कि मालेगांव को मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण विस्फोट के लिए चुना गया था। इसमें साजिश करने वालों के रूप में प्रज्ञा, पुरोहित और सह-आरोपी के रूप में स्वामी दयानंद पांडेय का नाम था। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए ने पिछले वर्ष क्लीनचिट दे दी ।
( Source – PTI )