हाल में विश्व चैम्पियनशिप के मैराथन फाइनल में हारने के बाद रजत पदक से संतोष करने वाली पीवी सिंधू को लगता है कि अब अंतरराष्ट्रीय मैच और प्रतिस्पर्धी हो गये हैं जिसमें लंबी रैलियों की भूमिका काफी अहम हो गयी है।
सिंधू और जापान की नोजोमी ओकुहारा के बीच काफी लंबी रैलियां हुई जिसमें एक रैली 73 शाट की भी रही। इन दोनों के बीच मुकाबला एक घंटे 50 मिनट तक चला जिसमें यह भारतीय काफी करीब से मैच हार गयी।
सिंधू ने आज स्वदेश लौटने के बाद यहां कहा, ‘‘अब यह इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि अगर आप महिलाओं का एकल, पुरूष एकल, युगल जो भी मुकाबले देखो, आजकल रैलियां काफी लंबी हो गयी हैं। ’’ हैदराबाद की 22 वर्षीय ने 2013 और 2014 चरण में दो कांस्य पदक अपने नाम किये थे। इस 22 वर्षीय ने कहा, ‘‘किसी को भी कहीं भी आसानी से अंक नहीं मिलता। आपको प्रत्येक अंक के लिये जूझना पड़ता है। ’’ रोमांचक फाइनल के बारे में बात करते हुए सिंधू ने कहा, ‘‘मानसिक और शारीरिक रूप से यह काफी थकाने वाला था। लेकिन उस समय आप सिर्फ यही सोचते हो कि आपको यह अंक जुटाना है। क्योंकि यह विश्व चैम्पियनशिप का फाइनल है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं खेल रही थी और वह भी इतनी ही थकी हुई थी। वह 73 शाट की रैली, मुझे लगता है कि यह किसी के भी मुकाबले में पहली बार हुआ था। ’’ ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली सिंधू ने कहा कि वह मैच के बाद काफी निराश थी।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, यह अच्छा मुकाबला था। ओकुहारा भी काफी अच्छा खेली। उस समय 20-20 की बराबरी के बाद यह किसी का भी गेम हो सकता था। मैंने कड़ी मेहनत की लेकिन वो दिन मेरा नहीं था। ’’ सिंधू ने कहा, ‘‘फाइनल मैच के बाद मैं निराश थी लेकिन मैंने सोचा कि ‘कोई बात नहीं’। मैंने इसके बारे में सोचा, लेकिन अगले दिन से मैं सामान्य थी।’’ सिंधू ने हालांकि निराशा को पीछे छोड़कर भविष्य पर ध्यान लगा दिया है और कहा कि वह खुश हैं कि कम से कम इस बार पदक का रंग तो बदलने में सफल रही।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत खुश हूं। रियो ओलंपिक के बाद यह सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट में से एक था और विश्व चैम्पियनशिप कुछ अलग ही होती है। इससे पहले यह कांस्य पदक थे, दोनों बार, लेकिन इस बार मैंने पदक का रंग रजत में बदल दिया। मैं इससे काफी खुश हूं। ’’
( Source – PTI )