हे राम तुम सृष्टि के पहले करुणाकर हो

—विनय कुमार विनायक

हे राम तुम सृष्टि के पहले करुणाकर हो

तुम्हारे समय में एक बर्बर डाकू रत्नाकर थे

तुमने ही उनके दिल में करुणा जगाई

हे प्रभु तुम्हारे आने से करुणा जग में आई

तुमने ही जग में रिश्ते की मर्यादा लाई

हे प्रभु तुम कितने अच्छे हो

हमें अच्छा बना दो हममें नहीं अच्छाई

हममें से अधिकांश पिता समक्ष कई बार अड़े

अपनी माता से कई बार लड़े

हे प्रभु तुम कितने अच्छे हो

ये हम तुम्हारे चरित्र से पहलीबार सीखते

कि पिता से बड़ा कोई होता नहीं यहाँ

माँ के समान सिर्फ माँ ही होती जहाँ में

इतनी सी बातें बातेंहम सीख पाते

तबतक माँ पिता नहीं रहते इस दुनिया में

हे प्रभु तुम कितने सहृदय महामानव हो

जब भाई का अर्थ आय व्यय लेखा जोखा हिस्सा था

भाई का मतलब आज दादा होता जो ठोक ठुकाई करता

तुमने ही भाई का पर्याय राम लक्ष्मण बना दिया

हे प्रभु तुम कितने महान हो चरित्रवान हो

ये हमें बरसों तक ज्ञान नहीं हो पाता

ये पूछा भी नही जाता किसी इम्तिहान में

तुमने बता दिया जो जीव जंतु कृपालु होता

वो रक्षक पक्षी जटायु पिता सा होता

वो साथी वानर हनुमान भ्राता के समान होता

हे श्याम सुंदर जब तुम आए धराधाम पर

तब वर्णभेद रंगभेद और जातिवाद नहीं था  

निषाद को सखा समझ तुमने गले लगा लिया

भीलनी को माई कहकर जूठा बेर खा लिया

हे राम तुमने अत्याचारी राक्षस रावण के नरभक्षी

सवा लाख नाती सवा लाख पोते का वध किया

उनमें ही रावण का भांजा शंबूक भी एक था

मगर बाद के वर्णाश्रमी जातिवादियों ने रावण को

वेदज्ञ ब्राह्मण और उसके भांजे शंबूक को शूद्र पदवी दी  

तुम्हें ब्रह्महत्या पाप लगा और शूद्रहंता का अपयश भी

सवाल है पराई नारी अपहर्ता रावण वेदपाठी ब्राह्मण कैसे? 

वेदपाठी ब्राह्मण रावण का भांजा शंबूक शूद्र कैसे हुआ?

ये वेद व ब्रह्मणत्व का अपमान एक सुनियोजित साजिश

जो सनातन धर्म पंथ परंपरा में भेदभाव रंजिश बढ़ाते

सच तो यह है कि रावण वेद विकृति कर्ता राक्षस था

और रावण भगिनी शूर्पनखा पुत्र शंबूक भी रावण जैसा

ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान लेनेवाला तपी राक्षस होता

हिन्दुत्व बचाना है तो शास्त्र की प्रक्षिप्त बुराई का हो खंडन

किसी मिथकीय चरित्र का करो नहीं जातिकरण महिमामंडन! —विनय कुमार विनायक

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