ओम जय मोबाइल देवा

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ओम जय मोबाइल देवा ,प्रभु जय मोबाइल देवा |
तुम सबकी करते हो प्रभु ,दिन रात हमारी सेवा || ओम जय —
तुम बिन आँख न खुलत है,तुम बिन न होत कलेवा |
इस तरह तुम जन जन की,आठो पहर करत सेवा || ओम जय —
तुम बिन कोई काम न होत जब तक तुम न होवा |
मात-पिता हो तुम मेरे ,पर बच्चो की करत हो सेवा || ओम जय —
तुम बिन चैट न होत है,तुम बिन मित्र नहीं बनते |
हम तो थक जाते है प्रभु,पर तुम कभी नही थकते || ओम जय—
तुम हो मेरे प्राण पिता ,तुमको बिसराऊ अब कैसे |
जब तुम नहीं होते हो ,मै तडफू जल बिन मीन जैसे || ओम जय —
भूल जाते है सब काम जग के,पर तुमको न भूलते |
कृपा करो प्रभु सब पर, हम तो तुम्हरी शरण रहते || ओम जय —

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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