पाकिस्तानी कब्जे से कश्मीर को मुक्त कराइये

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आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं – मुख्यमंत्री श्री चौहान

भोपाल। अरुंधती राय अगर महिला न होती तो सेना उनसे अलग तरीके से निपटती। सुश्री राय, चेतन भगत और पडगांवकर जैसे बुद्धिजीवी अलगाववाद की भाषा बोल रहे हैं। इससे देशद्रोहियों का ही मनोबल बढ़ेगा। हरेक भारतीय को जागरुक होकर सरकार से पूछना होगा कि हम पाकिस्तान के सामने इतने कमजोर क्यों हो गए हैं। अब हमें अपनी संसद के प्रस्ताव पर अमल करते हुए पाकिस्तानी कब्जे से कश्मीर को मुक्त कराना होगा। कश्मीर पर राजनेताओं और सरकार के ढुल-मुल रवैये के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। सेना तैयार है, लेकिन उसे आदेश देने वाले मुंह पर पट्टी बांधे बैठे हैं। आखिर हम कब तक चुप्पी साधे रहेंगे। सेना ने हमेशा युद्ध जीत कर दिया है। कश्मीर को बचाने में सेना ने अपनी कुर्बानी दी है। देश का हजारों करोड़ रू. कश्मीर पर लगा है। क्या यह सब इसीलिए किया गया कि कश्मीर पाक को सौंप दिया जाए। जम्मू और लेह-लददाख सहित अनेक हिस्सों से आजादी या स्वायत्ता की कोई मांग नहीं हो रही है। सिर्फ श्रीनगर और कश्मीर के आस-पास के कुछ जिले पाकिस्तान प्रेरित आजादी की मांग कर रहे हैं। केन्द्र सरकार देश के करोड़ों मुसलमानों की बजाए इन मुट्ठीभर कश्मीरी मुसलमानों की के आगे क्यों नतमस्तक हो रही है। ‘कश्मीर ः समस्या एवं समाधन’ विषय पर व्याख्यान देते हुए सेवानिवृत्त मेजर जनरल गगनदीप बख्शी ने यह बात कही। श्री बक्शी भोपाल में स्पंदन, प्रज्ञा प्रवाह, भारत विकास परिषद् और म.प्र. राष्ट्रीय एकता समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर के लोगों से हमदर्दी नहीं है। उसे कश्मीर के लोग नहीं वहां के संसाधन चाहिए। कश्मीर समस्या के समाधान के लिए भारत को अपनी बर्दाश्त की सीमा निर्धारित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी रेड लाइन डिफाइन करनी होगी। लेकिन दुर्भाग्य है कि केन्द्र सरकार के इशारे पर कश्मीर के वार्ताकारों ने यह कहा हे कि हमारी कोई रेडलाइन नहीं है।

पाकिस्तान कश्मीर में सेना का मनोबल तोड़ने की साजिश कर रहा है। योजनाबद्ध तरीके से उसने पहले भारतीय पुलिस का मनोबल तोड़ा अब वह सेना पर मानवाधिकार हनन के झूठे आरोप लगवाकर सेना का ध्यान कश्मीर से हटाना चाह रहा है। मेजर जनरल बक्शी ने मानवाधिकार संगठनों को कटघरे में खडा करते हुए कहा कि सेना पर लगाए गए मानवाधिकार हनन के 94 प्रतिशत मामले गलत पाए गए हैं। सही आरोपों पर तत्काल सुनवाई और कार्यवाई की गई है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जो आतंकवाद से लड़ने में भारी हथियारों का उपयोग नहीं कर रहा है। अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, रूस और श्रीलंका जैसे देशों ने हमेेंशा आतंकवाद से लड़ने में बड़ और भारी हथियारों का उपयोग किया है। इसके बावजूद भारतीय सेना पर मानवाधिकार हनन के सबसे ज्यादा आरोप लगे।

मेे.जे. बक्शी ने अपने कार्यकाल के अनुभवों के आधार पर कश्मीर की आज की समस्या और उसके समाधान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद के अंत के लिये एक स्पष्ट नीति के साथ कार्य करने की जरूरत है। कश्मीर राज्य के कुछ जिलों में ही उपद्रवी तत्व सक्रिय है। वहाँ भी शांतिप्रिय लोग है जिसका सबसे प्रामाणिक तथ्य है कि 60 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने जम्मू-कश्मीर के निर्वाचन में भाग लेकर भारत की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में भरोसा व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हमें कश्मीर समस्या को व्यापक परिदृश्य में देखना होगा। कश्मीर को छोड़ने की बात देश में रहने वाले 15 करोड़ लोकतांत्रिक मुसलमानों के सम्मान को चोट पहुँचाना है। उन्होंने कश्मीर के सामरिक महत्व को समझाते हुए पाकिस्तान और चीन के सामरिक गठजोड़ की आशंकाओं पर भी प्रकाश डाला। श्री बक्शी ने कहा कि पाक से जल्दी नहीं निपटा गया तो उसका सहयोगी चीन हमारे लिए बड़ी चुनौती खडी कर देगा। हमें पाक के सामने घुटने टेकना बंद कर देना चाहिए। अब मुहतोड जवाब देने का समय आ गया है।

कार्यक्रम के मुख्यअतिथि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हिन्दुस्तान की सरकार इतनी कमजोर हो गई कि पाकिस्तान को सबक सिखने की बजाये समझौतों में अटकी हुई है। भारत को ग्लोबल पावर बनाने का सपना देख रहे हैं लेकिन हदय से देशभक्ति की भावना लुप्त होती जा रही है। कश्मीर विलय दिवस पर श्री चौहान ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति ने देश को आतंकवाद से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। हमारे यहां ऐसे -ऐसे चिंतक हो गए हैं जो पाक को कश्मीर देकर समस्या सुलझाने की बात करते हैंं। उन्होंने सवाल किया कि क्या अरुंधती राय का बयान चीन में बर्दाश्त किया जाता? कश्मीर के विलय पर उंगली उठाने वाले जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कश्मीर को पाक का हिस्सा बताने वाले गिलानी को तो जेल में होना चाहिए। जबकि उन्हें सम्मान दिया जा रहा है। जिनके हदय में देशप्रेम नहीं वे ही ऐसा राज कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्दी सत्ता की चाह में भारतमाता को आजादी के समय ही खंडित कर दिया गया। आज अखंड भारत कहां है। पांच नदियों के कारण पंजाब कहलाने वाले राज्य में अब दो ही नदियां हैं। उन्होंने कहा कि सेना के साथ ठीक सलूक नहीं हो रहा है। उसे आजादी के साथ काम करने देना होगा। श्री चैहान ने कहा कि आतंकवाद की लडाई में अगर कुछ निर्दोष मर भी जाएं तो गम नहीं, लेकिन आतंकी नहीं छूटने चाहिए। दुष्ट बिना भय के काबू में नहीं आते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद आतंकवादियों के तो मानव अधिकार हैं लेकिन सेना व जनता के मानव अधिकारों का क्या? अरुंधती राय और मेधा पाटकर कश्मीरी पंडितों के मानव अधिकार की लड़ाई लड़ें। सोनिया राहुल गांधी से देशभक्ति के जज्बे की उम्मीद नहीं की जा सकती। कश्मीर बचाने के लिए जनता आगे आए। मैं हमेशा उनके साथ हूं। हम आतंकवादियों को पाक में घुसकर क्यों नहीं मार सकते। उन्होंने कहा कि अगर भारत पाक अधिकृत कश्मीर के लिये पुरजोर आवाज उठाता तो आज जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता का मुद्दा नहीं उठता। देश बचाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लिये अब वार्ता की नहीं दृढ़ता की जरूरत है। भारत ने उदारता एवं शांति का संदेश दिया है लेकिन अखण्डता के लिये अब शक्ति प्रदर्शन की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की समस्या देश की समृद्ध सांस्कृतिक अखंडता से अपरिचित नीति नियंत्रकों के ढुलमुल रवैये का परिणाम है। इसे सिर्फ विलय नहीं, बल्कि संकल्प दिवस के रूप में भी मनाएं। उन्होंने कहा कि धारा 370 खत्म कर वहां सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों को बसा दिया जाए, वहां की हालत सुधर जायेगी। देशभक्ति वोट बैंक का हिस्सा क्यों नहीं बन सकती है? अब समय आ गया है कि जनता देश की सत्ता पर देशभक्तों को बैठाये। अखंडभारत का सपना साकार करने के लिए सेना को पूरे अधिकार मिलने चाहिए। उन्होंने सेना को स्वतंत्र करने को कहा।

श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिये वोट की राजनीति आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है। जिस दिन जनता जाग गई सत्ता लोलुप कुर्सी पर नहीं रह पायेंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष रमेंश शर्मा और महेश श्रीवास्तव, प्रज्ञा प्रवाह संयोजक बालकृष्ण दवे, स्पंदन के उपाध्यक्ष जी.के. छिब्बर उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दीपक शर्मा ने किया।

-अनिल सौमित्र

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अनिल सौमित्र
मीडिया एक्टिविस्‍ट व सामाजिक कार्यकर्ता अनिलजी का जन्‍म मुजफ्फरपुर के एक गांव में जन्माष्टमी के दिन हुआ। दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता में स्‍नातकोत्तर डिग्री हासिल कीं। भोपाल में एक एनजीओ में काम किया। इसके पश्‍चात् रायपुर में एक सरकारी संस्थान में निःशक्तजनों की सेवा करने में जुट गए। भोपाल में राष्‍ट्रवादी साप्‍ताहिक समाचार-पत्र 'पांचजन्‍य' के विशेष संवाददाता। अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं अंतर्जालों पर नियमित लेखन।

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