शरद चाँदनी

0
166

    प्रभुनाथ शुक्ल

तुम शरद की धवल चाँदनी
मैं तेरा शीतल चंचल चंदा हूँ
हरसिंगार की तुम मादकता
मैं तेरे जुड़े का सुंदर बेला हूँ

तुम मेरे जीवन सरिता की
अधखिली हुईं रजनीगंधा
मलय गंध सी लगती तुम
जैसी हो तुम मेरी हरिगंधा

मेरे दिल की धड़कन में तुम
पायल सी बजती रहती हो
मेरे सपनों और उम्मीदों में
तुम वंशी जैसी बजती हो

तुम मेरे हर पथ और पग में
छाया बनकर कर चलती हो
पुरवाई की सिहरन सी तुम
मेरी अनुभूति में बिखरी हो

मेरे जीवन मधुमास की तुम
मदहोश भरी सी कविता हो
मयखाने के प्रेमी होठों की
चाहत की मधुशाला तुम

तुम मेरी अतृप्त मृगतृष्णा
मैं तेरे दिल का हीर प्रिया
जीवन के अद्भुत संगम का
तुम गंगा मैं तेरी धार प्रिया

प्रभुनाथ शुक्ल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress