अपराधों से कराहता समाजवादी प्रदेश

uttar pradeshउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां विकास के बड़े- बडे़ दावे के साथ सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवहेलना करते हुए समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में अपने विज्ञापन प्रकाशित करवा रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश में घट रही ताबड़तोड़ सनसनीखेज वारदातें सपा नेताओं के बयान व अफसरशाही के रवेये के कारण आज समाजवादी सरकार एक बार फिर वहीं पहुंच रही हैं जहां वह लोकसभा चुनावों के पहले थी। हालांकि प्रदेश की समाजवादी सरकार ने लोकसभा चुनावों के बाद कई उपचुनाव लगातार जीते हैं वहीं अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को किसी भी तरह से जीतने की तैयारी में जुट गयी है।समाजवादी नेता मुलायम सिंह की विशेष नसीहतों के बाद भी समाजवादी मंत्री सुधर नहीं पा रहे हैं।

विगत दिनों समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने मिशन २०१७ की प्रारम्भिक तैयारी भी शुरू कर दी है। सपा नेता रामगोपाल यादव ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के वर्तमान व पूर्व विधायकों व सांसदों की लोकप्रियता का फीडबैक भी लिया। साथ ही सम्पूर्ण यादव परिवार की एक गोपनीय चिंतन बैठक भी हो चुकी है। खबर है कि इस बैठक के बाद ही प्रदेश सरकार के मंत्री शिवपाल यादव को भी आगे बढकर काम पर लगाया है। अपने मंत्रियों से परेशान सपा ने अपनी छवि चमकाने के विभिन्न उपायों पर भी काम शुरू कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री दिन प्रतिदिन किसी न किसी योजना की शुरूआत कर रहे हैं व घोषणा कर रहे हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दावा कर रहे हैं कि प्रदेश के युवाओं को सबसे अधिक नौकरियां हमारी सरकार ने दी हैं।हर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा व केंद्र सरकार को विकास के मुददे पर तंज कसने का काम करते हैं तथा अपनी समस्त विफलताओं का ठीकरा केंद्र सरकार पर ही थोप रहे हैं।अभी तक केंद्र में जितनी भी सरकारें थीं सपा नेता समर्थन वापसी की धमकियां देकर अपनी स्वार्थसिद्धि में ही लगे रहते थे। यही बसपा भी करती थी। जिसका नतीजा आज प्रदेश की जनता भुगत रही है। आज प्रदेश की जनता निराशा की गर्त में जी रही है।

प्रदेश का प्रशासन पंगु हो चुका है। प्रदेश पुलिस द्वारा महिलाओं के लिए १०९० सेवा शुरू करने के बावजूद आज महिला वर्ग कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है। एक से बढ़कर एक वीभत्स बलात्कार व फिर उनकी हत्याएं की जा रही हैं। प्रदेश में अवैध खनन जोरों से जारी है। आज प्रदेश में जनता की आवाज बुलंद करने वाला व लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता जगत भी सुरक्षित नहीं रह गया है। शाहजहांपुर में पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या के मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ है। राज्यपाल राम नाईक व हाईकोर्ट की दहलीज तक मामला पहुॅच चुका है। लेकिन प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब जक पूरी तरह से जांच नहीं हो जाती तब तक पिछड़ावर्ग राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और मीरजापुर में आरटीओ समेत कई कर्मचारियों और अधिकारियों को धमकाने वाले बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री कैलास चौरसिया को भी नहीं हटाया जायेगा। ज्ञातव्य है कि मीरजापुर के कई्र कर्मचारी चौरसिया पर एफआईआर तक नहीं लिखी जाने के कारण नाराज है। इसी प्रकार समाजवादी पार्टी अपने बयानबहादुर नेताओं से भी परेशानी झेल रही है।

शाहजहांपुर में पत्रकार हत्याकांड के कुछ दिनों बाद प्रदेश सरकार के मंत्री पारसनाथ यादव ने बयान दिया कि यह विधि का विधान था। वहीं दूसरी ओर पैक्सपैड चेयरमैन व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री तोताराम यादव ने प्रदेश में घट रही रेप की घटनाओं पर बयान दे डाला कि रेप की घटनाएं स्वेच्छा से होती हैं। जब उनका बयान मीडिया की सुर्ख्रियां बना और विपक्षी दलों ने इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया तो फिर कहाकि उनका बयान तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। सपा सरकार के एक और मंत्री आजमखां भी बयान बहादुर हैं ।मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए प्रतिदिन मोदी सरकार फेल हो गयी का नारा लगाते रहते हैं। आज वास्तव में जमीनी धरातल पर काफी काम होने के बावजूद सपा सरकार की छवि को उसी की पार्टी के नेतागण ही खराब करके सपा मुखिया मुलायम सिंह के सपने को ध्वस्त कर देते हैं। अभी प्रदेश में प्रदेश के कई स्थानों पर सपा नेताओं की दबंगई के समाचार प्राप्त हुये है। सपा नेता बिजली चोरी कर रहे हैं। जमीनों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं।

आज प्रदेश के हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि खाकी, खादी और अफसर सभी घोटालांे,घूसखोरी के दलदल में फंस चुके हैं। हर जगह हरप्रकार के काम में पैसा चल रहा है। विगत दिनों आगरा से एक जालसाज नेता षैलेंद्र अग्रवाल को पकड़ा गया जिसके माध्यम से पुलिस महकमे में किस प्रकार से ट्रांसफर – पोस्टिंग का खेल चल रहा था। पुलिस महानिदेशकों तक को रकम मुहैया करायी गयी। जो रकम नहीं जेते थे उनको हटा दिया जाता था। कहा जा रहा है कि गिरफ्त में आये शैलेंद्र ने कम से कम ५० सिपाहियों के तबादले करवाये। आगरा में तैनात तीन दारोगाओं को बीस- बीस लाख रूपये में इंस्पेक्टर बनवाया। वह बड़े अफसरों की पत्नियों को महंगे गिफ्ट देता था। इस कांड के खुलासे के बाद यह साफ हो गया है कि आज प्रदेश में कानूल व्यवस्था की स्थिति केवल और केवल इसलिए बिगड़ रही है क्योंकि नियुक्ति में घपला , तैनाती में घपला।एक प्रकार से दारोगा प्रोन्नति में दो पूर्व पुलिस महानिदेशकों और सत्तारूढ़ पार्टी से संबद्धता रखने वाले एक दलाल के गठजोड़ से जो तस्वीर सामने आयी है वह बेहद भयावह तस्वीर पैदा कर रही है। यही कारण है कि प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट व केंद्र की लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस सुधार लागू नहीं हो पा रहे हैं।

प्रदेश के सभी प्रमुख विपक्षी दल कानून व्यवस्था के खिलाफ हमलावर हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा समाजवादी सरकार के खिलाफ महाअभियान चलाने जा रही है। जिसमें अवैध खनन के साथ हत्या, लूट, डकैती व बलात्कार जैसे जघन्य वारदातों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने जा रही है।आज प्रदेश में कोई भी सुरक्षित नहीं रह गया है। फिर वह चाहे पत्रकार हों या फिर आरटीआई कार्यकार्ता । जनमानस में भय का वातावरण गहराता जा रहा है। वहीं प्रदेश में अब राजधानी लखनऊ में ईमामबाड़े व कुछ अन्य मुस्लिम ईमारतों को लेकर तनाव बढ़ रहा है। शहर के लोकप्रिय ईमारतों पर ताला पड़ गया है। जिसके कारण अब प्रदेश की पर्यटन छवि को भी गहरा आघात लग रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहे जितना विकास के दावे कर लें लेकिन आज प्रदेश में समाजवादी सरकार की छवि को आघात लग चुके हैं और यह उनके अपनों के द्वारा ही दिये जा रहे हैं।

मृत्युंजय दीक्षित

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