अज़ीब हूनर हमने इस पैसे में देखा।

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अज़ीब हूनर हमने इस पैसे में देखा।
अपनो को अपनो से अलग होता देखा।।

अज़ीब हूनर हमने इस माया में देखा।
आज इसके पास कल दूसरे के पास देखा।।

अज़ीब हूनर हमने इस वक्त में देखा।
जवानी देकर बचपन को लुटते देखा।।

हूनर दिखाने वाले को सड़को पर देखा।
बे हूनर वालो को राज महलों में देखा।।

जिस औलाद को उंगलियां पकड़ते देखा।
उसी औलाद को उंगलियां दिखाते देखा।।

कभी नाव को हमने पानी में चलते देखा।
उसी पानी को हमने नाव में भरते देखा।।

इस वक्त में कुछ तो हुनर है मेरे दोस्तो।
जो कल देख चुके उसे आज नही देखा।।

रस्तोगी की अर्ज है,वक्त की कद्र करो दोस्तो।
जो वक्त बीत गया,उसे लौटते कभी न देखा।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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