नफरत भरे माहौल में आज भी बेहद प्रासंगिक हैं महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत

दीपक कुमार त्यागी
आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक महामारी के घातक प्रकोप से जूझ रहा है, बहुत सारे देशों में आपसी मनमुटाव के चलते विश्व समुदाय पर बड़े युद्ध का अंदेशा हर वक्त मंडरा रहा है। विश्व में मानवीय संवेदनाओं व मानवीय मूल्यों में भारी गिरावट के चलते हर तरफ एक अजीब तरह का नफरत भरा माहौल बना हुआ है। बहुत बड़ी संख्या में लोग महत्वाकांक्षा व बेवजह के मसलों को लेकर एक दूसरे की जान के दुश्मन बने हुए हैं। इस स्थिति के चलते इंसानियत का बेहद तेजी के साथ दिनप्रतिदिन क्षरण हो रहा है। यह स्थिति सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए व अमनचैन पूर्ण माहौल के लिए बेहद चिंतनीय है। कुछ लोगों की वजह से समाज में हर तरफ एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतियोगिता के चलते, आजकल अपराध छल-कपट झूठ-प्रपंच धन के दिखावे भरे आडंबर का जबरदस्त बोलबाला होता जा रहा है। इस स्थिति से हमारा प्यारा देश भारत भी बहुत तेजी के साथ ग्रसित होता जा रहा है। आजकल समाज में तेजी के साथ बढ़ते नफरत भरे माहौल से अब हमारे देश का सकून भरा माहौल व आम जनमानस भी अछूता नहीं रहा है। कही ना कही आम जनमानस के एक बहुत बड़े वर्ग की संकुचित सोच की वजह से, आज हमारे देश में भी गलत व नौटंकीबाज व्यक्ति समाज के एक वर्ग के लोगों को बेहद कामयाब होते नज़र आ रहे हैं और बेहद अफसोस की बात यह है कि वो गलत लोग अब कुछ लोगों के आदर्श बनते जा रहे हैं। मौजूदा मंदी के दौर में देश में सर्वांगीण विकास को निर्बाध ढंग से चलाने के लिए हम लोगों को तत्काल आवश्यकता है कि हम देश में उत्पन्न इस स्थिति को देशहित व समाज के हित में तत्काल बदल डालें। हालात में सुधार करने के लिए देश में तत्काल आवश्यकता है कि हमारी सरकार व हम स्वयं भी अहिंसा के पुजारी आदरणीय महात्मा गांधी के प्रेरणादायक विचारों पर अमल करें। भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण दुनिया के बुद्धिजीवी लोग नकारात्मकता से पूर्ण माहौल से निकालने के लिए अब फिर से महात्मा गांधी के दर्शन और उनके ओजस्वी विचारों की ओर देख रहे हैं। आज समय की जरूरत है कि हम उनके ओजस्वी व्यक्तित्व व विचारों से भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर लोगों को एकबार फिर से समझाएं और अवगत कराये और उनको गांधीवादी विचारों की सत्यता से रूबरू करवाकर उनको रोजमर्रा की जिंदगी में धरातल पर अमल में लाने के लिए  सफलतापूर्वक प्रेरित करें।
हालांकि यह भी जिंदगी का एक बेहद कटु सत्य है कि महात्मा गांधी जी के विचारों के बारे में बात बनाना बेहद आसान है, लेकिन उन पर अमल करना बेहद कठिन है, क्योंकि महात्मा गांधी जी सत्य-अहिंसा के पुजारी थे, वो उसका अपने रोजमर्रा के आचरण में अक्षरशः पालन करते थे, जो कि बहुत कठिन कार्य है। वैसे भी देखा जाये तो महात्मा गांधी जी ताउम्र साक्षात, दूरगामी सोच वाले महामानव, सादगी, सरलता, सज्जनता, प्रकृतिप्रेमी, सत्य, अहिंसा, स्पष्टवादिता, समय का पालन करने वाले, धर्यवान, स्वच्छता प्रेमी, जबरदस्त संकल्प शक्ति, छूआछूत मिटाने वाले, कुटीर उद्योग के पक्षधर, स्वदेशी के पक्षधर, नस्लभेद के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले, मान-सम्मान, स्वाभिमान, शालीनता, देश का गौरव बढ़ाने वाले, दृढसंकल्प,  सहिष्णुता, मानसिक मज़बूती, निडरता, आपसी भाईचारा निभाने वाले, इंसानियत को सर्वोपरि मानने वाले, करुणा, जीव प्रेम, ईमानदारी व देश प्रेम आदि बहूमूल्य गुणों की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। महात्मा गांधी जी जीवनपर्यंत निस्वार्थ भाव से आडंबर चमक-दमक, तड़क-भड़क, ईर्ष्या, द्वेष, प्रचार-प्रसार औऱ बड़बोलेपन, दिखावे से हमेशा कोसों दूर रहकर मानव सभ्यता के उत्थान के लिए कार्य करते रहते थे। महात्मा गांधी जी ने हमेशा ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के अनमोल सिद्धांत को अपने जीवन में पूर्ण रूप से आत्मसात करके जिंदगी के अनमोल सिद्धांतों को प्रतिपादित करते हुए आम जनमानस पर अपनी विशिष्ट अमिट छाप छोड़ी है। उनके अहिंसक मानवीय बदलाव के बेहद बृहद गांधीवादी दृष्टिकोण ने विश्व के तमाम देशों का धीरे-धीरे अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने पर मजबूर किया है।
भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो आजकल जिस तरह से विश्व में नफरत के चलते हिंसा चरम पर है, नस्लभेदी दंगे आयेदिन चल रहे हैं, धार्मिक उन्माद चरम पर है, देशों के आपसी मतभेद चरम पर चल रहे हैं, महामारी कोरोना के चलते एकदम उत्पन्न हुई बेरोजगारी चरम पर है, रोजीरोटी के भयावह संकट से जनसमुदाय जूझ रहा है, आपदा के चलते चिकित्सा व्यवस्था बेहाल हैं, अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हैं, महंगाई अपने चरम पर है, इस बेहद तनावपूर्ण हो चुके वातावरण में हर देश की जनता आयेदिन सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन करके छटपटा रही है। ऐसे में हर समझदार व्यक्ति को हालात पर नियंत्रण बनाने के लिए महात्मा गांधी जी के बेहद अनमोल गांधीवाद और उनके अनमोल सिद्धांत याद तो आ रहे हैं। लेकिन अफसोस गांधी के अपने ही देश भारत में बहुत सारे लोग उनके विचारों की गंभीरता व प्रासंगिकता को अभी भी महसूस नहीं कर पा रहे हैं या जानबूझकर करना नहीं चाह रहे हैं। जिस तरह से देश में कुछ लोगों की जहरीली विचारधारा ने महात्मा गांधी से विचारों की असहमति के भयंकर उन्माद में उनकी हत्या तक कर दी थी, आज भी उसी विचारधारा के अनुयायी बहुत सारे लोग गांधी के विचारों को गांधी के अपने ही देश से साफ करना चाहते हैं। लेकिन  कहते हैं कि वक्त के थपेड़े तो अच्छे-अच्छे लोगों को भी सुधार कर सब कुछ सिखा देते हैं, ठीक उसी प्रकार आज जैसे-जैसे विश्व में हिंसा बढ़ रही है, आर्थिक मंदी बढ़ रही है, लोग भरपेट भोजन के लिए तरस रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है और लोग तेजी से छद्म राष्ट्रवाद व नफरत की गिरफ्त में आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे विश्व की जनता को न केवल गांधीवाद व गांधी दर्शन याद आ रहा है, बल्कि आज के दौर में उसे आत्मसात करने की आवश्यकता भी महसूस की जाने लगी है। अब समझदारों के तो समझ में आने लगा है कि आज विश्व में बहुत सारे देशों के बीच उत्पन्न युद्धस्तर के तनाव, समाज में बढती नफरत, कोरोना महामारी टेंशन, तबाह होती अर्थव्यवस्था, लोगों के आपसी मनमुटाव व लोगों के मानसिक तनाव की वजह से जो बेहद तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, उस सबका समाधान महात्मा गांधी के विचारों में छिपा हुआ है। कटु सत्य तो यह है कि इंसान व इंसानियत की रक्षा और प्रथ्वी पर मानव सभ्यता के हित में आज भी बेहद प्रासंगिक हैं महात्मा गांधी के अनमोल विचार, बस जरूरत है कि हम उन पर बात बनाने की जगह अपने रोजमर्रा के आचरण में वास्तव में अमल करने की शुरुआत करें।।। जय हिन्द जय भारत ।।।। मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान ।।Attachments area

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