बिहार पुलिस का शपथ, शराबबंदी को कितना बनाएगा सफल

– मुरली मनोहर श्रीवास्तव
बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर देश-दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बंदी का बिहार में भी काफी प्रभाव पड़ा है। समाज का स्वरुप बहुत हद तक परिवर्तित भी हुआ। देश तथा देश की बाहर की संस्थाएं बिहार आकर शोध भी शराबबंदी की सफलता पर कर चुकी हैं, सभी ने नीतीश कुमार के इस कदम की सराहना की है। बिहार में शराबबंदी होने के बाद आमदनी पर भी गहरा असर पड़ा है। आर्थिक दृष्टिकोण से बिहार थोड़ा कमजोर जरुर हुआ है। बावजूद इसके नीतीश कुमार का यह कदम ऐतिहासिक है। इसके लिए बिहार में बनी मानव श्रृंखला ने दुनिया के रिकॉर्ड को भी तोड़ा।
क्यों फिर लेनी पड़ी शपथः
बिहार पुलिस, जिसके बूते सूबे की सरकार सभी चीजों पर कंट्रोल करती है। इसी में शामिल है शराबबंदी जिस पर नकेल कसने के लिए पुलिसिया तंत्र को जिम्मेदारी सौंपी गई। शराबबंदी पर लगाम भी लगी, मगर इस कानून को अगर किसी ने तार-तार किया तो उसमें बड़े पैमाने पर संपन्न लोग और पुलिसकर्मी इसमें शामिल हैं। हलांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर अपने उद्बोधन में कहते रहते हैं कि कुछ लोग इसको अपनी लिबर्टी से जोड़कर देखते हैं। बावजूद इसका किसी पर असर नहीं पड़ा रहा था। लिहाजा पुलिसकर्मियों एक बार फिर से शराब नहीं पीने तथा इसके धंधे में संलिप्तता से दूर रहने के लिए शपथ दिलायी गई।
शपथ का कितना असर पड़ेगाः
इससे पहले भी बिहार के पुलिसकर्मी शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर शपथ ले चुके हैं, इसका समाज पर कितना असर पड़ा यह किसी से छूपा हुआ नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फरमान के बाद पुलिसकर्मियों ने एक बार फिर से शराब नहीं पीने की शपथ लिया है। पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद थाना से लेकर पुलिस मुख्यालय तक सभी पुलिसकर्मियों ने शराब नहीं पीने, शराब के कारोबार में शामिल नहीं होने की भी शपथ ली है। लेकिन इसके बाद भी बिहार के पुलिसकर्मियों पर इसका कितना असर पड़ेगा अब तो आगे पता चलेगा। इसके पहले शपथ लेने के बाद भी शऱाब पीने, इसके काले कारोबार में शामिल होने की हर दिन कई शिकायतें मिलती ही रहती हैं। कानून लागू रहने के बाद भी बिहार में शराब का कारोबार परवान पर है। अब देखना ये है कि आगे इस शपथ का बिहार में कितना असर पड़ेगा पुलिसकर्मियों पर यह तो आने वाले समय में पता चल ही जाएगा।
पूर्ण शराबबंदी कड़ाई से लागूः
बिहार में पांच अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है और इसे कड़ाई से लागू किए जाने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 को सर्वसम्मिति से विधानमंडल से पारित करवाया था पर बाद में इसके कुछ प्रावधानों को कड़ा बताए जाने तथा इस कानून का दुरूपयोग किए जाने के भी नीतीश सरकार पर अक्सर आरोप लगते रहते हैं, आलोचनाएं विपक्ष के द्वारा की जाती हैं। शराबबंदी कानून में कुछ तब्दीली से संबंधित पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के एक जवाब पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम लोगों ने राज्य में पूरी ईमानदारी से शराबबंदी कानून को लागू किया है। इसमें कुछ कड़े प्रावधान हैं, इसके लिए कार्यक्रम में एक राय बनाने के लिए ऑल पार्टी मीटिंग की गई थी, उसके बाद इसको लागू किया गया था।
समीक्षा बैठक में नाराजगी का असरः
बिहार में शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद नवनिर्वाचित पुलिस महानिदेशक ने बिहार के सभी जिलों के एसपी, रेल एसपी को पत्र लिखा है कि शराब के कारोबार में शामिल न हों पुलिसकर्मियों को इसकी शपथ दिलायी जाए। पुलिस महानिदेशक ने अपने पत्र में उल्लेख किया था कि 9 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश ने मद्य निषेध की बैठक की थी। बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में निर्देश दिया था। लिहाजा बिहार के सभी पुलिसकर्मी 21 दिसंबर को शऱाब नहीं पीने की शपथ लें। 21 दिसंबर को पूरे बिहार के पुलिसकर्मी 11 बजे अपने दफ्तर में शऱाब नहीं पीने,शराब के कारोबार में शामिल नहीं होने की शपथ लें।
महिलाओं की मांग पर बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर नीतीश कुमार ने महिलाओं को बल दिया। शराब गरीब तबकों के बीच तो थोड़ी थम गई मगर अपर क्लास के बीच इसकी खपत कम नहीं हुई। लेकिन जिसके बूते शराबबंदी प्लान को सक्सेस करने की नीतीश ने मुहिम शुरु की उनलोगों ने ही शराब तस्करी को बढ़ावा दिया और आज की तारीख में नतीजा है कि शराब तस्करी का धंधा बिहार में बड़े पैमाने पर फलफूल रहा है। इस धंधे में पर्दे के पीछे से आम से लेकर खास तक जुड़ गए हैं। अब देखने वाली बात ये है कि इस बार पुलिसकर्मियों की शपथ शराबबंदी कानून को कितना सफल बनाएंगे साथ ही जो लोग लिबर्टी से जोड़कर शराब को देख रहे हैं सरकार इस बात को जानती है तो उनलोगों के गले तक फंदा आखिर क्यों नहीं पहुंच रहा है।

1 COMMENT

  1. प्रश्न यह भी उठता है कि क्या उपभोक्ता नशे की लत का खर्चा उठा सकता है; क्या वह ऐसी प्रवृत्ति में अपने परिवार का पालन पोषण ठीक प्रकार से कर सकता है; क्या ऐसी स्थिति में उसके सामाजिक उत्तरदायित्व पर आंच तो नहीं आती? यदि उपभोक्ता को नशे की लत बनाए रखने के लिए आये दिन परिवार के समक्ष झूठ का सहारा लेना पड़े; परिवार के भरण-पोषण की असमर्थता हो; अपनी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट करनी पड़े; और घर के बाहर चोरी, मक्कारी, और घूस लेनी पड़े तो उसका व्यक्तिगत व्यवहार स्वयं के परिवार के लिए विपत्ति का कारण तो बनेगा ही लेकिन समाज के ऊपर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा| यदि वह अनपढ़ और बेकार है तो गरीबी और अपराध बढ़ेंगे और यदि पढ़ा-लिखा है तो नशे में विवेकहीन वह समाज में कोई योगदान न देते हुए इसे दुर्बल बना हर प्रकार की कुरीतियों का अखाड़ा बना छोड़ेगा| जैसे एक झूठ के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं वैसे ही एक अपराध से दूसरे कई अपराधों का जन्म होता है| मनुष्य धर्म और मर्यादा को खो देता है और सामूहिक रूप में समाज का व देश का पतन होने लगता है| प्राथमिक विद्यालय में मेरे गणित के अध्यापक कहा करते थे कि किसी संख्या और उसके विपरीत का योग शून्य ही है| नशा मनुष्य को विवेकहीन बना धन, विद्या, चरित्र, व उसके सभी गुणों को शून्य कर देता है|

    विषय पर विश्लेषणात्मक निबंध के लिए श्री मुरली मनोहर श्रीवास्तव जी को मेरा साधुवाद|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here