इतिहास सृजन के नाम पर ‘ट्विटर’ की साइबर निगरानी

अमेरिका के ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ ने फैसला लिया है कि ‘ट्विटर’ के द्वारा भेजे जा रहे ‘ट्विट’ को अब लाइब्रेरी के संकलन का हिस्सा बनाया जाएगा। जिसके आधार पर जनसाधारण की राय के आधार संस्कृति और सभ्यता का जन इतिहास लिखने में आसानी होगी। अमेरिका की यह 210 साल पुरानी पुस्कतालय संस्था है और इस संस्था का अमेरिका से लेकर सारी दुनिया में विशाल लाइब्रेरी नेटवर्क है। आज इस संस्था के पास बेव लेखन का विश्व का सबसे बड़ा संकलन है।

उल्लेखनीय है कि आजकल 55 मिलियन यूजर ‘ट्विटर’ के माध्यम से संदेश संप्रेषित करते हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। लाइब्रेरी ने ‘ट्विटर’ की टिप्पणियों को इतिहास की कच्ची सामग्री और ज्ञान के खजाने में रुपान्तरण करने का फैसला किया है। यह खबर ‘दि न्यूयार्क टाइम्स’ ( 14 अप्रैल, 2010) ने दी है। इंटरनेट जगत और खासकर ‘ट्विटर’ की दुनिया के 140 करेक्टर के लेखकों में लाइब्रेरी के इस फैसले से काफी उत्साह बढ़ा है। वे खुश हैं कि अब ‘ट्विटर’ इतिहास का हिस्सा बन गया है। जो अकादमिक शोध करना चाहते हैं वे भी काफी खुश हैं। यह वास्तव अर्थों में अनसेंशर जन इतिहास की सामग्री के संकलन का ऐतिहासिक फैसला है।

नेट विधा रुप ‘ट्विटर’ इतनी जल्दी पुस्तकालय संकलन का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था। किताबों को पुस्तकालय का हिस्सा माना जाता था ,बाद में फिल्म, वीडियो,ऑडियो को पुस्तकालय का हिस्सा बनाया गया ,लेकिन पुस्तकालय में ‘ट्विटर’ का इतनी जल्दी प्रवेश चौंकाने वाली बात है.फिर भी स्वागतयोग्य कदम है।

जो चर्चित लोग हैं,ज्ञानी लोग हैं,जिनके ‘ट्विट’ का पीछा करने वाले हजारों-लाखों यूजर हैं, फिलहाल उनके ‘ट्विट’ और उनके अनुयायियों की टिप्पणियां संकलित की जाएंगी। यह एकदम नए किस्म का इतिहास है जो दर्ज होगा।

फ्रीड आर.शापिरो (एसोसिएट लाइब्रेरियनऔर येले लॉ स्कूल में प्रवक्ता) के अनुसार यह साधारण आदमी का इतिहास है जो प्रतिक्षण ‘ट्विट‘ के जरिए पहलीबार अमेरिकी लाइब्रेरी में दाखिल होगा। कुछ समय बाद ‘ट्विटर’ की टिप्पणियों को अमेरिका के नेशनल आर्काइव में शामिल कर दिया जाएगा।

अमेरिकन लाइब्रेरी के कम्युनिकेशन निदेशक एम.रेमण्ड के अनुसार ‘ट्विटर’ का संस्कृति और इतिहास पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है। उल्लेखनीय है ‘‘बेव केप्चर’’ नाम का प्रकल्प अमेरिकी पुस्तकालय विगत 10 सालों से चला रहा है। इसमें ऑनलाइन सामग्री का दुनिया का विशालतम जखीरा है। इस प्रोजेक्ट में 167 टेराबाइटस की डिजिटल सामग्री है। इतनी ही क्षमता का डिजिटल किताबों का खजाना है जिसमें 21 मिलियन किताबें हैं।

सवाल यह भी है कि पुस्तकालय संकलन का यदि ‘ट्विटर’ को हिस्सा बना दिया जाता है तो यह तो सीधे यूजर की प्राइवेसी का उल्लंघन होगा। क्या ‘ट्विटर’ के संदेशों का सिर्फ रिसर्च स्कॉलर ही इस्तेमाल करेंगे ? क्या सीआईए का दुरूपयोग नहीं करेगा ? भविष्य में ‘ट्विटर’ के कापीराइट का सवाल भी सामने आ सकता है। अभी तक जो लोग ‘ट्विटर’ पर आराम से टिप्पणियां लिखते रहे हैं और जो भी मन में आता है उसे व्यक्त करते रहे हैं उन्हें सावधान रहने की जरुरत है क्योंकि उनकी बेहूदा बातों को इतिहास में शामिल किया जा सकता है और फिर कोई शोधार्थी बताएगा कि ‘ट्विटर’ कितने बेवकूफ थे। दूसरा बड़ा परिवर्तन यह भी होगा कि सामान्य टिप्पणी अंततः इतिहास की मूल्यवान सामग्री बन जाएगी। इससे भी बड़ी बात यह है कि ‘ट्विटर’ भी अमेरिकी प्रशासन की नेट निगरानी में आ गया है यह स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए अशुभ संकेत है। क्योंकि अमेरिका का लाइब्रेरी नेटवर्क सीआईए की सांस्कृतिक शाखा और अमेरिकी साम्राज्यवाद के प्रभावशाली विचारधारात्मक मंच के रुफ में काम करता रहा है। विगत 10 सालों से इसका साइबर निगरानी के एक मंच के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

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