खुद की खोज में

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वहां जहां धरती और आसमान

मिलते हुए दीखते हैं

वहां मेरा गाओं है।

एक मिट्टी के घर

कोने में एक लकड़ी के बक्सा

बक्से के अंदर मेरे दादाजी के

भगबत गीता

मेरे बचपन के कुछ किताबें

और कुछ कोरा कागज़।

में यही कहीं रहता हूँ

और सपने देखते रहता हूँ

कोई मुझे अँधेरा कोई तन्हाई और कोई

उदासी का रूप देता है

में लेकिन खुदको अभी भी

युवा महसूस करता हूँ

वहां जहाँ धरती और आसमान

मिलते हुए दीखते हैं

वहां में रहता हूँ।

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माधब चंद्र जेना
माधब चंद्र जेना का जन्म 10 जून 1980 को ओडिशा के जाजपुर जिले के ईशानपुर में हुआ था। इस बहुमुखी लेखक की उल्लेखनीय कृतियों में "अlलोक" "बरशा," "खराबेल ओ फेरीबाला," उड़िया में और "गॉड एंड घोस्ट," "ब्लैक एंड ोथेर्स " और "लेट मी गो टू हेल" अंग्रेजी में शामिल हैं । उनके लेखन ने भाषाई सीमाओं को पार कर लंदन ग्रिप, म्यूज़ इंडिया, इंडियन रिव्यू, द चैलेंज, फेनोमेनल लिटरेचर और द वर्बल आर्ट जैसी प्रतिष्ठित अंग्रेजी पत्रिकाओं के साथ-साथ प्रजातंत्र सप्ताहिकी, आइना, समाज जैसी ओडिया पत्रिकाओं में जगह बनाई है। इसके अलावा उनके शोध पत्र वैश्विक ख्याति की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जिनमें स्प्रिंगर, विली और टेलर फ्रांसिस आदि शामिल हैं।

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