नई दिल्लीः करतारपुर कॉरीडोर भारत-पाकिस्तान के बीच दूरियों को पाटने का बड़ा जरिया बन सकता था, लेकिन दोनों तरफ आशंकाएं इतनी हावी हैं कि यह आसान नहीं है। कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की नीयत और दोहरा रुख रिश्ते सुधारने की राह में बड़ा रोड़ा है।

करतारपुर कॉरीडोर विकास की आधारशिला रखे जाने पर पाक सेना अध्यक्ष कमर बाजवा का खालिस्तानी मोस्टवांटेड गोपाल चावला से मिलना और पाक प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा कश्मीर मुद्दे के जिक्र को पाक के दोहरे रवैये से जोड़कर देखा जा रहा है। कश्मीर के उल्लेख पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। जानकारों ने कहा कि करतारपुर से बातचीत शुरू हो सकती है, यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

हाफिज का करीबी क्यों था मौजूद

खालिस्तान आतंकी गोपाल चावला हाफिज सईद का करीबी माना जाता है। उस पर भारत में खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने की साजिश में शामिल रहने का आरोप है। आईएसआई की शह पर भारत में खालिस्तानी उग्रवाद को समर्थन देना और अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए कई खालिस्तानी समर्थक तत्व वहां मौजूद हैं। सूत्रों का कहना है कि गोपाल चावला की मौजूदगी अनायास नहीं है। इस पर भारत को कड़ी आपत्ति जताने के साथ सतर्क रहना चाहिए।

कश्मीर के उल्लेख पर नाराजगी

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बहुत खेदजनक है कि पाक पीएम ने इस पवित्र मौके का चुनाव राजनीतिकरण के लिए किया। जम्मू कश्मीर के उल्लेख को अनापेक्षित बताते हुए मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे भारत से कभी अलग नहीं किया जा सकता। पाक को सीमापार आतंकवाद को सभी तरह का सहयोग और शरण देना बंद करके प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।