नई दिल्ली: सदियों से चलता आ रहा है औरतों और लड़कियों पर जुर्म का सिलसिला, कभी धर्म के नाम पर तो कभी समाज के नाम पर. मर्द कुछ भी करे वो अपराध नहीं लेकिन अगर कुछ ऐसा और कर दें तो वह देश का सबसे बड़ा जुर्म बन जाया है.सदियों से परिवार ने समाज ने और देश सब लोग मिलकर औरतों पर ही क्यों रोक-टोक लगाते हैं. इसी तरह केरल के 800 साल पुराने मंदिर में भी बीएस 10 से लेकर 50 साल तक की औरतों का प्रवेश वर्जित था क्योंकि इस उम्र म,ए उन्हें पीरियड्स आते हैं. आप सोचिये पीरियड तो नेचुरल प्रोसेस हैं न मैंने तो खुद से बनाया नहीं है. फिर विना पर क्यों हमें उस 7 दिनों के अंदर अपवित्र मन जाता है. हमे क्यों नहीं बराबर का अधिकार.आपको बता दें लिंग आधारित समानता को मुद्दा बनाते हुए महिला वकीलों के एक समुदाय ने 2006 में कोर्ट में याचिका डाली थी. दरअसल, हिंदू धर्म में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को ‘अपवित्र’ माना जाता है जिसकी वजह से घर में ही नहीं बल्कि कई मंदिर में इस कारण महिलाओं का प्रवेश करना वर्जित है.

ऐसा ही एक मामला केरल के सबरीमाला मंदिर का है जिस पर 4-1 के बहुमात से आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी अपना फैसला. पहले लोगों का ये कहना था कि वे इस परंपरा को इसलिए मानते हैं क्योंकि भगवान अयप्पा, जिनका यह मंदिर है, वो “अविवाहित” थे.