
नोटबंदी के खिलाफ वाम दलों के 12 घंटे के भारत बंद और कांग्रेस के जनाक्रोश आंदोलन का आज ओड़िशा में मामूली असर देखा गया। हालांकि, लंबी दूरी की बसें सड़कों पर नहीं उतरी और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।
ऑटो रिक्शा जैसे छोटे वाहन सभी स्थानों पर समान्य रूप से चले और व्यापारिक प्रतिष्ठान और सरकारी तथा निजी कार्यालय खुले रहें।
पांच वाम दलों के अलावा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जन आक्रोश आंदोलन किया और राज्य में सभी प्रखंडों में प्रदर्शन किया जबकि सीटू कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर, पुरी और अन्य स्थानों पर जुलूस निकाला।
ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने यहां भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया।
ओड़िशा प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रसाद हरिचंदन और अन्य अन्य वरिष्ठ सदस्यों को उस वक्त हिरासत में ले लिया गया जब वे आरबीआई कार्यालय के पास धरना दे रहे थे।
हरिचंदन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने बंद का आह्वान नहीं किया, लेकिन इस दिन को आक्रोश दिवस के रूप में मनाया।’’ प्रदेश भाकपा सचिव दिबाकर नायक ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि लोगों को बैंक से अपना पैसा निकालने की इजाजत दी जानी चाहिए। हम यह भी चाहते हैं कि पुराने नोटों को तब तक मान्य रहने की अनुमति दी जाए जब तक कि पर्याप्त मात्रा में नये नोट लोगांे को उपलब्ध नहीं हो जाता।’’ माकपा प्रदेश सचिव अली किशोर पटनायक ने कहा कि मोदी सरकार के गलत फैसलों के चलते देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
भाकपा :माओवादी: ने भी देशव्यापी प्रदर्शन का समर्थन किया है। प्रतिबंधित संगठन के मल्कानगिरि डिवीजन ने एक बयान में लोगों से नोटबंदी के खिलाफ कदम का लोगों से समर्थन करने की अपील की।
वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नोटबंदी के कदम का अप्रत्यक्ष समर्थन करने को लेकर राज्य की बीजद सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में राज्य सरकार ने प्रदर्शन का समर्थन किया लेकिन अचानक से ओड़िशा सरकार ने स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए। यह बीजद का दोहरा मानदंड है।’’ सत्तारूढ़ बीजद ने नोटबंदी कदम का स्वागत किया था और आज के प्रदर्शन में शामिल नहीं हुआ।
( Source – PTI )