ड्रग फ्री हरियाणा का आगाज, 22 दिन में पूरा प्रदेश होगा कवर
सुशील कुमार ‘नवीन’
हरियाणा में नशे की लत से निपटने के लिए राज्य स्तरीय नशा मुक्त हरियाणा साइक्लोथॉन 2.0 अभियान का आगाज 5 अप्रैल शनिवार को हिसार से हो गया। अभियान को हरी झंडी स्वयं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिखाई। तीन सप्ताह तक प्रदेशभर में लाखों लोगों को अभियान के साथ जोड़ा जाएगा। जिस उद्देश्य के साथ अभियान की शुरुआत हुई है ,सार्थकता बनी रही तो निश्चित रूप से हरियाणा ड्रग फ्री हो जायेगा। हिसार से शुरू हुआ यह अभियान प्रदेश के विभिन्न जिलों से होते हुए 27 अप्रैल को सिरसा में समाप्त होगा।
देसा म्ह देस हरियाणा जित दूध दही का खाणा के नाम से जाने वाले हरियाणा में जिस प्रकार से नशे में बढ़ोतरी हो रही है, यह चिंता का बड़ा विषय है। प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ लगते जिलों में तो समस्या और भी बड़ी है। खासकर युवा और छात्र वर्ग बड़े निशाने पर है। 2018 में हुए केंद्रीय सर्वेक्षण में देश के 254 जिलों में नशे की समस्या गंभीर मानी गई थी। हरियाणा को भी इससे काफी प्रभावित बताया गया था। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की। उसी के साथ ही हरियाणा में भी इस पर विशेष ध्यान दिया जाना शुरू हुआ।
तीन माह पूर्व ड्रग्स तस्करी की बढ़ती समस्या और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी शामिल हुए थे। इसमें उन्होंने इस मामले में हुई कार्रवाई के बारे में बताया था कि हरियाणा में इस साल 294 किलो के करीब हेरोइन और चरस पुलिस द्वारा बरामद की गई है। उन्होंने उस समय यह भी दावा किया कि सरकार हरियाणा को ड्रग फ्री करने का कार्य करेगी। प्रदेश में नशा तस्करों के खिलाफ 3051 मुकदमे दर्ज करते हुए 4652 आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है। पेशेवर क्रिमिनल पर सख्ती करते हुए पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष-2024 में 63 नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। 2023 में हरियाणा पुलिस द्वारा कॉमर्शियल क्वांटिटी के 326 मुकदमे दर्ज किए गए थे। 2024 में 411 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें 841 बड़े नशा तस्करों पर कार्रवाई की गई है।
सरकार इस मामले में कितना गंभीर है उसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हरियाणा में नशा तस्करी संबंधी बड़े मामलों में तेजी लाने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब से रिपोर्ट आने की समय सीमा को घटाकर 15 दिन किया गया है। इससे न केवल ट्रायल में तेजी आएगी बल्कि सजा की दर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया है। प्रदेश में 52 नशा मुक्ति केंद्र खोले गए हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नशा मुक्ति वार्ड स्थापित किए गए हैं। एक टोल फ्री नंबर 90508-91508 भी जारी किया है। मानस पोर्टल बनाया गया है। इस पर कोई भी व्यक्ति नशा तस्करों या उसमें संलिप्त लोगों की जानकारी दे सकता है। ड्रग से संबंधित सभी गतिविधियों का केंद्रीकृत राज्य डेटाबेस बनाने के लिए ‘हॉक’ सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल एप ‘प्रयास’ भी विकसित किया गया है। जिला रेंज और राज्य स्तरीय एंटी नारकोटिक्स सेल स्थापित किए हैं।
प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए गांव में 5150 ग्राम प्रहरी तथा वार्ड प्रहरी भी नियुक्त किए गए हैं। इस बार के बजट में भी सरकार द्वारा राज्य में नशीली दवाओं के प्रसार से निपटने के लिए एक नया प्राधिकरण स्थापित किए जाने की बात कही गई है। मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित ज्ञान जागरूकता और मुक्ति कार्यक्रम (संकल्प) प्राधिकरण को 10 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन के साथ प्रस्तावित भी किया गया।
ड्रग फ्री अभियान का यह दूसरा चरण है। मनोहर सरकार में इसी तरह साइक्लोथॉन का आयोजन किया गया था, जो 25 दिनों तक चला था। उस अभियान की सफलता को देखते हुए साइक्लोथॉन 2.0 का आयोजन किया गया है। सरकार के अनुसार युवाओं और किशोरों को नशे से बचाने के लिए सरकार ने राज्य कार्य योजना शुरू की है। इसके तहत जागरूकता अभियान, नशा मुक्ति व पुनर्वास और नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को प्रमुखता दी जायेगी।
आयोजन की शुरुआत को देखे तो हरियाणा को नशा मुक्त बनाने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम साबित होगा। प्रदेश सरकार और प्रशासन ने इस साइक्लोथॉन को एक आयोजन न मानते हुए एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक माना है। इसमें हजारों युवा, छात्र, पुलिस, सेना के जवान और एनसीसी, एनएसएस और विभिन्न सामुदायिक समूहों के सदस्य भाग लेंगे। ड्रग फ्री हरियाणा अभियान के तहत निकाली जा रही इस साइक्लोथॉन रैली के संदेश की गूंज प्रदेश के कोने-कोने तक जाएगी और युवा पीढ़ी को नशे के विरुद्ध जागरूक करने में अहम भूमिका निभाएगी।
लेख का समापन अभियान की शुरुआत में मुख्यमंत्री इन पंक्तियों से और सार्थक बन जाएगा –
शौक बनता है पहले, फिर लत बन जाती है
धीरे-धीरे जिंदगी की कीमत घट जाती है।
छोड़ दे इन जहर भरी आदतों को,
इससे सांसों की गिनती घट जाती है।
लेखक;
सुशील कुमार ‘नवीन