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नई अफीम नीति को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी से मिले सांसद सुधीर गुप्ता

मंदसौर । नई अफीम नीति 2023 24 को लेकर आज सांसद सुधीर गुप्ता ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मिलकर नई अफीम नीति 2023–24 के लिए एक मांग पत्र सौंपा और कहा कि नई नीति में इस वर्ष डेढ़ लाख अफीम के लाइसेंस दिए जाए। नई अफीम नीति के लायसेंस पात्रता हेतु 5.9 किलोग्राम / हेक्टेयर मॉर्फीन औसत की अनिवार्यता को समाप्त किया जाये, क्योंकि फसल वर्ष 2022-23 में अफीम लायसेंस वितरण प्रक्रिया में देरी होने तथा बेमौसम बारिश के कारण अफीम में पानी की मात्रा बढ़ने से गाढ़ता कम बैठी जिसके कारण मार्फिन औसत के कमी देखी गई । अतः आगामी नीति में 3.5 किलोग्राम / हेक्टेयर मॉर्फीन के आधार पर लायसेंस वितरित किए  जायें।  मृतक किसानों के नामांतरण उनके उत्तराधिकारी जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री के अलावा मृतक किसान के विधिक/वैध वारिसान जैसे दत्तक पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री या किसान द्वारा आवदेन पत्र में दर्शाए गए वारिसान / उत्तराधिकारी के नाम पर नामांतरण करके प्रक्रिया को आसान किया जाकर किसानों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जाये व निति जारी होने से पूर्व ही नामान्तरण प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश प्रसारित करे ।  अफीम नीति की घोषणा अगस्त माह में तथा लायसेस वितरण सितम्बर माह के दितीय सप्ताह तक अनिवार्य किया जाये। उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 1995-96 के पक्षात प्राकृतिक आपदा कमी औसत या विभिन्न कारणों से कटे हुए लायसेंस भी बहाल किये जाये। वर्ष 2014 से लगातार अफीम निति में सुधार हो रहा है पिछली नीतियों में माफन स्ट्रेंथ की बाध्यता हटी है विगत वर्षों में घटिया अफीम लाइसेंस जिनकी माफींन स्ट्रेंथ 6% से ऊपर है परन्तु उस पूर्ण ओसत नहीं होने के कारण कई अफीम किसान इससे वंचित रह गए अतः ऐसे अफीम किसानों को पिछले 3 वर्ष के औसत गणना के आधार पर लाइसेंस प्रकिया में शामिल किया जाये | सभी किसानों को समान रूप से 10 आरी के लाइसेंस जारी किये जाये, साथ ही जो कृषक उच्च गुणवत्ता पूर्ण मार्फीन ओसत देते है उनके लिए बढे हुए भावो का टेरिफ बनाया जाये। सभी किसानों को एक से अधिक प्लॉटों में अफीम बोने की अनुमति दी जायें। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय कृषको के कृषि खर्चे की तुलना में उप्तादित फसल की लागत नहीं निकलती उस संबंध में सरकार लगातार MSP में वृद्धि कर रही है। मगर अफीम की मूल्यों की बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है हमारी मांग के पश्चात मूल्य वृद्धि का विषय टेरिफ कमीशन के पास लंबित है। अतः  मूल्य वृध्दि इस वर्ष अवश्य की जावे । कृषको के खेत पर खड़ी फसल चोरी होने या जंगली पशु, नीलगाय के नष्ट करने पर कृषक हमेशा अपना लाइसेंस खो रहा है । इस विषय पर भी गंभीरता से चर्चा की जाए। अफीम कृषको कि अफीम गुणवत्ता का परिणाम लेब से प्राप्त होता है जो नीमच एवं गाजीपुर में है मेरा आपसे आग्रह है की तोल केंद्र पर ही कृषक को फ़ाइनल परिणाम इस वर्ष से प्रारम्भ हो ऐसी व्यवस्था की जावे ।  वर्तमान में समय में जब कृषको को लाइसेंस मार्फीन के आधार पर दिए जा रहे है तो ऐसी स्थिति में कच्चे तोल की अनिवार्यत निरर्थक है इसके स्थान पर कृषक अफीम चीरा लगा रहे है केवल इतना रिकॉर्ड किया जाए इससे तोल प्रकिया व मिलान प्रकिया के बीच समय व विवाद से बचा जा सकेगा। पूर्व निर्धारित अफीम नीति में 1998 से 2003 तक लाइसेंस 5 वर्ष की औसत की गणना के आधार पर जारी किए थे जिसमे कई किसान लगातार एक या दो वर्षों से किसी कारण वश खेती नहीं कर पाए थे उन्हें 3 वर्षों की ओसत की गणना के आधार पर लाइसेंस प्रकिया में शामिल किया जावे।  विभागीय आदेश की अवहेलना के कारण जो लाइसेंस रुके हुए वह पिछले कुछ वर्षों में जारी कर दिए थे उनमे वर्ष 1998 तक के अफीम किसानों को जोड़ा जाए।  1995-96 से 2023 तक स्वैच्छिक जमा अफीम लाइसेंस जारी करें। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को एक और गंभीर विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि NDPS ACT की प्रक्रिया व धाराओ पर पुन विचार के लिए एक कमेटी गठित की जाए एवं साथ ही POPPY HUSK (डोडाचुरा) में उपलब्ध NARCOTICDRUG नशीले पदार्थ की बहुत ही कम मात्रा के कारण इसे NDPS ACT की परिधि से बाहर किया जावे। 1995-96 से वर्तमान तक जितने भी लाइसेंस धारी किसान परिवार रहे है उन्हें वर्तमान पद्धति या CPS पद्धति अंतर्गत लाइसेंस प्रकिया से पुनः जोड़ा जाए। ताकि पोस्तादाना का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।  CPS पद्धति अंतर्गत निकले जाने वाले डोडाचूरे के भंडारण हेतु प्रस्तावित ओद्योगिक इकाई एवं कारखाने का शीघ्र निर्माण कराया जावे।

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