Homeविविधपॉक्सो में सहमति की उम्र घटाने का मामला : बचपन बचाओ आंदोलन...

पॉक्सो में सहमति की उम्र घटाने का मामला : बचपन बचाओ आंदोलन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

पॉक्सो में सहमति की उम्र घटाने की कुछ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मांग और देश की विभिन्न अदालतों में दिए गए विभिन्न फैसलों में इस मांग के प्रति अदालतों के रुख में दिखती नरमी के खिलाफ बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की अर्जी को चिह्नांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि इस मांग से देश में बड़ी संख्या में यौन शोषण के शिकार बच्चों और खास तौर से लड़कियों के हितों पर गंभीर असर पड़ेगा।

बीबीए ने अपनी अर्जी में कहा था कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) के मामलों में “सहपलायन और प्रणय संबंधों” की अनुचित व्याख्या उस भावना और उद्देश्य का ही अवमूल्यन कर रही है जिसके लिए यह कानून बनाया गया था।

बीबीए ने याचिका में जोर दिया कि पॉस्को के मामलों में 60 से 70 प्रतिशत मुकदमों में सहमति से संबंध को लेकर विभिन्न गैरसरकारी संगठनों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के दावे कहीं से भी तथ्यात्मक नहीं हैं। इन्होंने दोषपूर्ण पद्धतियों पर भरोसा किया, तथ्यों की गलत व्याख्या की और दावा कर दिया कि इनमें 60 से 70 प्रतिशत मुकदमे “सहमति से बने प्रणय संबंध” की श्रेणी में आते हैं और ऐसे में किशोरों के बीच “सहमति से बने संबंधों” का अपराधीकरण किया जा रहा है। बीबीए ने इन दावों का खंडन करते हुए अर्जी में कहा कि पॉक्सो के तहत मामलों 16 से 18 आयु वर्ग के बीच के किशोरों के मामलों की संख्या महज 30 फीसद है। याची ने सहायक व्यक्तियों (सपोर्ट पर्संस) से एक सर्वे भी कराया जिसमें यह तथ्य उजागर हुआ कि पॉक्सो के तहत दर्ज मामलों में सिर्फ 13 फीसद हिस्सा कथित रूप से सहमति से बने मामलों का है।

बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व राष्ट्रीय सचिव भुवन ऋभु ने अदालती फैसले को स्वागत योग्य बताते हुए कहा, “इससे उन मामलों में दिशानिर्देश तय करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है जहां यौन शोषण की शिकार बच्ची धमकी और दबाव में अपने बयान से मुकर जाती है और फिर इसे सहमति से बने संबंध का मामला मान लिया जाता है। इस फैसले से कम उम्र की किशोरियों को संगठित ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल में फंसने से बचने में मदद मिलेगी क्योंकि यदि सहमति की उम्र 16 वर्ष कर दी गई तो देह व्यापार के दलदल में फंस चुकी बच्चियों के शोषण को भी सहमति से बने संबंध माना जा सकता है।”

इस मुद्दे से जुड़ी कानूनी जटिलताओं और अब इसमें शीर्ष अदालत के भी शामिल हो जाने से इस पर फैसले का पूर्व कानूनी निर्णयों और प्रासंगिक कानूनों की व्याख्या पर दूरगामी असर होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!

Must Read

spot_img