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यूं ही नहीं बन जाता कोई  दुनिया में सबसे बड़ा गैर राजनीतिक  स्वयंसेवी संगठन

                      लेख : प्रवीण दुबे

यूं ही नहीं बन जाता कोई  दुनिया में सबसे बड़ा गैर राजनीतिक  स्वयंसेवी संगठन यदि ऐसा मुकाम किसी ने हासिल किया है तो उसके पीछे कोई न कोई बात तो ऐसी है जो उसे सर्वश्रेष्ठ बनाती है। हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस संगठन ने इस कारण हमारा ध्यान खींचा क्यों कि इसकी एक बड़ी बैठक चंबल के मुरैना जिले से सटे सुंदरपुर गांव में चल रही है। 

इस बैठक में इस संगठन के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत सहित तमाम अखिल भारतीय व प्रांत स्तर के अधिकारी भाग ले रहे हैं । यहां संघ दृष्टि से गठित मध्य भारत प्रांत जिसमें कि 8 जिले शामिल हैं के लगभग 2 हजार  स्वयंसेवक भी भाग ले रहे हैं। 

अब स्वतः ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बैठक कितनी विशाल और महत्वपूर्ण कही जा सकती है। बावजूद इसके यहां का जो माहौल है जो सादगी है जो अपनापन है और खासकर अपनी मिट्टी के प्रति जो लगाव यहां उपस्थित लोगों में दिखाई दे रहा है भला वह किसे प्रभावित नहीं करेगा।

एक नहीं अनेक ऐसी बातें सामने दिख रही हैं जो यह सिद्ध कर देती हैं कि संघ वास्तव में पूरी दुनिया का न केवल सबसे बड़ा संगठन है बल्कि वह सबसे अनुशासित और अपनत्व व सहजता से परिपूर्ण संगठन भी है।

जिस स्थान पर संघ की यह बैठक आयोजित की जा रही है। उस विशाल स्थल को तकरीबन एक माह की अथक परिश्रम के साथ खुद  स्वयंसेवको ने रात दिन की मेहनत से तैयार किया है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस परिसर में भारतीय सामाजिक धार्मिक व ग्रामीण परिवेश की खूबसूरती झलकती नजर आती है।संपूर्ण परिसर को अयोध्या धाम नाम देकर संघ ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राम के आदर्श ही उसका ध्येय है साथ ही अयोध्या के नवनिर्मित राममंदिर आंदोलन में संघ के त्याग बलिदान और संघर्ष के प्रति आदर की ओर भी यह अयोध्या धाम  इंगित करने के संदेश की ओर भी इशारा कर रहा है।

इस परिसर में क्रांतिकारी भगतसिंह हैं तो समरसता को प्रगट करने वाले संत रविदास को भी लगाया गया है। देश के लिए वीरगति प्राप्त करने वाली नारी शक्ति के बलिदान की ओर ध्यान आकर्षित करती लक्ष्मी बाई भी हैं। यहां इस बात का भी संदेश देने की कोशिश की गई है कि चंबल की माटी को केवल डाकुओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए यहां से देश के लिए मर मिटने वालों की भी लंबी परंपरा  रही है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े संगठन होने के बावजूद यहां सर्व सहमति से अपने पदाधिकारी के निर्वाचन की गौरवशाली परंपरा रही है चूंकि मुरैना बैठक में मध्य भारत संघ चालक का निर्वाचन भी होना है अतः यहां इसको एक सामान्य संगठनात्मक संवैधानिक प्रक्रिया जैसा वातावरण है और हमेशा की तरह जो संगठन तय करेगा उसी पर सर्व सहमति दिखाई देगी।

बैठक में दिन के 24 घंटे की दिनचर्या के एक एक मिनट का निर्धारण और उसपर सभी का अमल करना बेहद प्रभावित करता है।

सभी का भोजन पंडाल में एक साथ भोजन करना ,एक साथ भोजन भोजन व शांति पाठ का वाचन,भोजन पश्चात अपने बर्तनों का साफ कर व्यस्थित जगह पहुंचाने से लेकर खुद ही प्रेम पूर्वक परोस करना समरसता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करता है जो अपने आप में अनूठा कहा जा सकता है।

आश्चर्यजनक बात तो यह है कि दुनिया के सबसे बड़े संगठन के सर्वोच्च अधिकारी होने के बावजूद सर संघ चालक मोहन भागवत लगातार तीन दिनों तक सभी सुख सुविधाओं से दूर बैठक स्थल पर टेंट परिसर के रूप में बसाई गए अयोध्या धाम में ही रुके हुए हैं। न खुद की सुरक्षा की चिंता न इतने बड़े व्यक्तित्व को लेकर कोई दंभ जो है वह सबकुछ इस मातृभूमि का और यही भाव लेकर संघ अपनी सौंवी वर्षगांठ मनाने की ओर अग्रसर है ।

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