Author: प्रवक्‍ता ब्यूरो

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दिल्लीके 1008 स्थानों पर आज से संस्कृत संभाषण के शिविरों की शुरुआत

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सुशील कुमार ‘नवीन ‘ दिल्ली देश का दिल है। यहां पर हुई कोई भी हलचल या गतिविधि अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान स्थापित करती है। देवभाषा संस्कृत के प्रचार और प्रसार में पिछले 44 वर्षों से समर्पित अंतरराष्ट्रीय संगठन संस्कृत भारती दिल्ली से ही 23 अप्रैल से संस्कृत संभाषण का विशेष महाभियान शुरू करने जा रहा है। इसके तहत दिल्ली के विभिन्न 1008 स्थानों पर संस्कृत संभाषण शिविरों के माध्यम से दस हजार से भी अधिक परिवारों को अपने साथ प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा जाएगा। दस दिनों तक चलने वाले इन संभाषण शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षित कार्यकर्ता शिक्षक का दायित्व निर्वहन कर 50 हजार से अधिक लोगों को संस्कृत संभाषण में दक्ष करने का कार्य करेंगे। इसका समापन 4 मई को एक बड़े आयोजन के साथ होगा।   संस्कृत भारती के अनुसार किसी भी राष्ट्र की अखण्डता के लिए सांस्कृतिक भाषा एक आवश्यक वैचारिक आधार है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी होने के कारण सभी देशवासियों को एकत्र करने की भूमिका बहुत प्रभावी ढंग से निभा सकती है। दर्शन, साहित्य, विज्ञान,ज्योतिष, वास्तुकला, आयुर्वेद, योग, गणित, संगीत आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के ज्ञानकोष की कुञ्जी संस्कृत है। संस्कृतभाषा को जन-जन की व्यवहार भाषा बनाने के लिए 1981 में संस्कृतभारती संगठन की शुरुआत हुई जो आज एक वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है। संस्कृत के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित शिक्षकों,  संयोजकों, विद्वान् मार्गदर्शकों के साथ-साथ समाज में अनेक प्रकार से सहयोगीजनों का राष्ट्रव्यापी मंच देकर संस्कृतभारती ने कार्य को और गति प्रदान की है। संस्कृत भारती विविध कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत को समाज तक ले जाती है। संस्कृत सम्भाषण शिविरों के माध्यम से संस्कृत भारती द्वारा दस दिन तक प्रतिदिन दो घंटे संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण अत्यन्त रोचक विधि से अन्य भाषा के प्रयोग के बिना शब्द, वाक्य, कथा, अभिनय प्रदर्शन, गीत आदि के माध्यम से परस्पर वार्तालाप से दिया जाता है। देशभर में अब तक इस तरह के एक लाख से अधिक शिविरों का आयोजन किया जा चुका है। सम्भाषण शिवरों के माध्यम से संस्कृतभारती ने अभी तक विश्वभर में दो करोड़ लोगों को संस्कृत सम्भाषण में सक्षम करने का कीर्तिमान स्थापित किया है। डेढ़ लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को संस्कृत में शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। विश्व के 26 देशों में 45 सौ से अधिक केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।    संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है। इसे देश के जन जन तक पहुंचाने के लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं। संस्कृत भारती दिल्ली द्वारा यहां से एक बड़े आयोजन की कार्य योजना बनाई गई। इसके तहत दिल्ली में एक साथ 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों के संचालन पर सहमति बनी। इसके लिए 1000 से अधिक कार्यकर्ताओं को पहले विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाकर प्रशिक्षित किया गया। इसी के तहत बुधवार 23 अप्रैल से शिविरों का महाभियान शुरू हो रहा है। संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत भारती का यह कोई एक मात्र कार्यक्रम नहीं है। साप्ताहिक मेलन सम्भाषण शिविर का ही अनुवर्ती कार्यक्रम है। इसके तहत सप्ताह में एक दिन दो घण्टे के लिए एकत्र आकर संस्कृतवातावरण में रहकर पुनः संस्कृत सम्भाषण का अभ्यास करते हैं। नए लोगों का भी संस्कृत से परिचय कराने में भी यह लाभदायक साबित होता है। इसी क्रम में दस दिवसीय आवासीय प्रबोधन वर्ग का आयोजन किया जाता है। इसके तहत अखण्ड संस्कृत वातावरण में रहते हुए संस्कृत में ही चिन्तन मनन के लिए प्रेरित कर सहज भाव से संस्कृत को व्यवहार में लाने का सामर्थ्य पैदा किया जाता है। इसी कड़ी में प्रशिक्षणवर्ग संस्कृत सम्भाषण शिविर शिक्षकों के निर्माण के लिए विशेष वर्ग है। इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागी समाज में जाकर सम्भाषण शिविर चलाते हैं। संस्कृत को संस्कृत माध्यम से पढ़ाने का प्रशिक्षण भी इसी वर्ग में प्राप्त होता है।    साहित्य प्रकाशन के माध्यम से संस्कृत भारती द्वारा सरल और रुचिकर पद्धति से व्याकरण, उपन्यास, कथा, बाल गीत, नाटक भगवद् गीता, सुभाषित, यात्रावृत्तान्त, वैचारिक लेख, भाषाभ्यास इत्यादि विषयों पर लगभग 300 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को गीता जयन्ती के उपलक्ष्य में सम्पूर्ण प्रदेश में अखण्ड गीता पाठ, गीता शोभायात्रा एवं गीता प्रतियोगिताओं का अनेक स्थानों पर आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष रक्षा बन्धन के तीन दिन पूर्व तथा तीन दिन बाद तक “संस्कृत सप्ताह” का आयोजन अखिल भारतीय स्तर पर केन्द्र सरकार तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा होता है । ‘संस्कृतभारती’ इन आयोजनों में सभी प्रकार का सहयोग एवं प्रोत्साहन करती है। स्वयं भी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।     बाल केंद्रों के माध्यम से अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे बालक-बालिकाओं को खेल, गीत, भजन, कथा स्तोत्र तथा अभिनय आदि के माध्यम से संस्कृत के साथ-साथ उत्तम संस्कार देने का कार्य संस्कृत भारती कर रही है। जिस घर में परिवार के सभी सदस्यों द्वारा संस्कृत बोली व समझी जाती है, जो परस्पर संस्कृत भाषा में व्यवहार करते हैं। उन्हें संस्कृत गृह का नाम दिया गया है। देश भर के हजारों कार्यकर्ताओं के परिवार ऐसे ‘संस्कृतगृह’ है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके लिए रोचक साहित्य से युक्त, वर्णमयी संस्कृत मासिकी पत्रिका संभाषण संदेश का प्रकाशन किया जाता है। इसमें अत्यन्त सरल संस्कृत में कथा, चुटकुले, विज्ञान, भाषाभ्यास, समसामयिक विचार, राष्ट्रीय चिन्तन, आधुनिक विषय से सम्बद्ध लेख और विश्व के संस्कृत जगत् की नवीनतम वार्ता आप पढ़ सकते हैं। पत्राचार द्वारा भी घर बैठे प्रतिदिन थोड़ा समय संस्कृताभ्यास के लिये निकाल कर आप दो वर्षों में गीता, रामायण, स्तोत्र इत्यादि स्वयं पढ़कर समझ सकते हैं। प्रत्येक छः महीने में इस बारे में परीक्षा भी ली जाती है। संस्कृत भारती द्वारा दिल्ली को संस्कृतमय करने की यह पहल के निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम होंगे।  महाकवि कालिदास द्वारा रचित महाकाव्य ‘ रघुवंशम् ‘ की यह उक्ति अभियान में लिए सार्थक साबित होगी। कालिदास जी कहते हैं कि ‘ काले खलु समारब्धाः फलं बध्नन्ति नीतय:  अर्थ है, समय पर शुरू की गई नीतियां सफल होती हैं। लेखक; सुशील कुमार ‘नवीन‘, हिसार

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सार्थकता बनी रही तो ड्रग फ्री होगा हरियाणा

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ड्रग फ्री हरियाणा का आगाज, 22 दिन में पूरा प्रदेश होगा कवर सुशील कुमार ‘नवीन’ हरियाणा में नशे की लत से निपटने के लिए राज्य स्तरीय नशा मुक्त हरियाणा साइक्लोथॉन 2.0 अभियान का आगाज 5 अप्रैल शनिवार को हिसार से हो गया। अभियान को हरी झंडी स्वयं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिखाई। तीन सप्ताह तक प्रदेशभर में लाखों लोगों को अभियान के साथ जोड़ा जाएगा। जिस उद्देश्य के साथ अभियान की शुरुआत हुई है ,सार्थकता बनी रही तो निश्चित रूप से हरियाणा ड्रग फ्री हो जायेगा। हिसार से शुरू हुआ यह अभियान प्रदेश के विभिन्न जिलों से होते हुए 27 अप्रैल को सिरसा में समाप्त होगा।      देसा म्ह देस हरियाणा जित दूध दही का खाणा   के नाम से जाने वाले हरियाणा में जिस प्रकार से नशे में बढ़ोतरी हो रही है, यह चिंता का बड़ा विषय है। प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ लगते जिलों में तो समस्या और भी बड़ी है। खासकर युवा और छात्र वर्ग बड़े निशाने पर है। 2018 में हुए केंद्रीय सर्वेक्षण में देश के 254 जिलों में नशे की समस्या गंभीर मानी गई थी। हरियाणा को भी इससे काफी प्रभावित बताया गया था। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की। उसी के साथ ही हरियाणा में भी इस पर विशेष ध्यान दिया जाना शुरू हुआ।    तीन माह पूर्व ड्रग्स तस्करी की बढ़ती समस्या और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी शामिल हुए थे। इसमें उन्होंने इस मामले में हुई कार्रवाई के बारे में बताया था कि हरियाणा में इस साल 294 किलो के करीब हेरोइन और चरस पुलिस द्वारा बरामद की गई है। उन्होंने उस समय यह भी दावा किया कि सरकार हरियाणा को ड्रग फ्री करने का कार्य करेगी। प्रदेश में नशा तस्करों के खिलाफ 3051 मुकदमे दर्ज करते हुए 4652 आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है। पेशेवर क्रिमिनल पर सख्ती करते हुए पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष-2024 में 63 नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। 2023 में हरियाणा पुलिस द्वारा कॉमर्शियल क्वांटिटी के 326 मुकदमे दर्ज किए गए थे। 2024 में 411 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें 841 बड़े नशा तस्करों पर कार्रवाई की गई है।    सरकार इस मामले में कितना गंभीर है उसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हरियाणा में नशा तस्करी संबंधी बड़े मामलों में तेजी लाने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब से रिपोर्ट आने की समय सीमा को घटाकर 15 दिन किया गया है। इससे न केवल ट्रायल में तेजी आएगी बल्कि सजा की दर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया है। प्रदेश में 52 नशा मुक्ति केंद्र खोले गए हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नशा मुक्ति वार्ड स्थापित किए गए हैं। एक टोल फ्री नंबर 90508-91508 भी जारी किया है। मानस पोर्टल बनाया गया है। इस पर कोई भी व्यक्ति नशा तस्करों या उसमें संलिप्त लोगों की जानकारी दे सकता है। ड्रग से संबंधित सभी गतिविधियों का केंद्रीकृत राज्य डेटाबेस बनाने के लिए ‘हॉक’ सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल एप ‘प्रयास’ भी विकसित किया गया है। जिला रेंज और राज्य स्तरीय एंटी नारकोटिक्स सेल स्थापित किए हैं। प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए गांव में 5150 ग्राम प्रहरी तथा वार्ड प्रहरी भी नियुक्त किए गए हैं। इस बार के बजट में भी सरकार द्वारा राज्य में नशीली दवाओं के प्रसार से निपटने के लिए एक नया प्राधिकरण स्थापित किए जाने की बात कही गई है। मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित ज्ञान जागरूकता और मुक्ति कार्यक्रम (संकल्प) प्राधिकरण को 10 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन के साथ प्रस्तावित भी किया गया।    ड्रग फ्री अभियान का यह दूसरा चरण है। मनोहर सरकार में इसी तरह साइक्लोथॉन का आयोजन किया गया था, जो  25 दिनों तक चला था। उस अभियान की सफलता को देखते हुए साइक्लोथॉन 2.0 का आयोजन किया गया है। सरकार के अनुसार युवाओं और किशोरों को नशे से बचाने के लिए सरकार ने राज्य कार्य योजना शुरू की है। इसके तहत जागरूकता अभियान, नशा मुक्ति व पुनर्वास और नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को प्रमुखता दी जायेगी।  आयोजन की शुरुआत को देखे तो हरियाणा को नशा मुक्त बनाने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम साबित होगा। प्रदेश सरकार और प्रशासन ने इस साइक्लोथॉन को एक आयोजन न मानते हुए एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक माना है। इसमें हजारों युवा, छात्र, पुलिस, सेना के जवान और एनसीसी, एनएसएस और विभिन्न सामुदायिक समूहों के सदस्य भाग लेंगे। ड्रग फ्री हरियाणा अभियान के तहत निकाली जा रही इस साइक्लोथॉन रैली के संदेश की गूंज प्रदेश के कोने-कोने तक जाएगी और युवा पीढ़ी को नशे के विरुद्ध जागरूक करने में अहम भूमिका निभाएगी।  लेख का समापन अभियान की शुरुआत में मुख्यमंत्री इन पंक्तियों से और सार्थक बन जाएगा – शौक बनता है पहले, फिर लत बन जाती है धीरे-धीरे जिंदगी की कीमत घट जाती है। छोड़ दे इन जहर भरी आदतों को,  इससे सांसों की गिनती घट जाती है। लेखक; सुशील कुमार ‘नवीन

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