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शिवराज सरकार का अंतिम मंत्रीमण्डल विस्तार फिर टला, नामों पर चल रही रायशुमारी

जातिगत और क्षेत्रगत समीकरण साधने की हो रही कवायद, शुक्रवार को हो सकता है विस्तार!

लिमटी खरे

अगस्त का अंतिम सप्ताह माना जा सकता है वर्तमान में। इस साल के अंत में विधान सभा चुनाव होना तय है। चुनाव की रणभेरी कभी भी बज सकती है। इसी बीच देश के हृदय प्रदेश में मंत्री मण्डल विस्तार की सुगबुगाहटों ने ठहरे हुए पानी में कंकड़ मार दिया है। बुधवार के बाद ब्रहस्पतिवार और अब शुक्रवार को मंत्री मण्डल विस्तार के कयास लगाए जाने लगे हैं। वर्तमान में किसी भी मंत्री को ड्राप नहीं किया जा सकता है। अगर किसी मंत्री का त्यागपत्र लिया जाता है तो यह तय मान लिया जाना चाहिए कि उस मंत्री को आने वाले विधान सभा चुनावों में टिकिट नहीं दी जा रही है।

मुख्यमंत्री निवास के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि लगभग आधा दर्जन नामों पर फिलहाल विचार किया जा रहा है। इन आधा दर्जन नामों में से चार को मंत्री बनाया जा सकता है। इनमें से दो कैबनेट और दो राज्य मंत्री स्तर के होंगे। दरअसल, वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश में कुल 31 मंत्री हैं और अधिकतमत मंत्रियों की संख्या 35 हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को अगर शपथ ग्रहण समारोह हो गया तो ठीक, वरना मामला कुछ दिनों के लिए ठण्डे बस्ते में या यूं कहें कि मंत्री मण्डल विस्तार ही नहीं होगा तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।

सूत्रों ने यह भी कहा कि जिन संभावित विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है उन्हें राजधानी भोपाल तलब कर लिया गया है। सियासी हल्कों में शिवराज सिंह चौहान के इस चौथे मंत्री मण्डल विस्तार को लेकर उत्सुकता लगातार ही बनी हुई है। सभी टकटकी लगाए इसलिए भी इसे देख रहे हैं, क्योंकि चुनाव की घोषणा से संभवतः 30 दिन पहले इस विस्तार का औचित्य क्या होगा, क्योंकि जब तक मंत्री अपने विभाग को समझ पाएंगे तब तक आचार संहिता लग जाएगी। इसके अलावा विधान सभा का सत्र भी अब नई सरकार के चुने जाने के उपरांत ही आहूत हो पाएगा।

वैसे सियासी हल्कों में यह बात तेजी से चल रही है कि विन्ध्य क्षेत्र में ब्राम्हणों की नाराजगी को दूर करने के लिए पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल को एक बार फिर मंत्री बनाया जा सकता है। इस तरह विन्ध्य क्षेत्र में अनेक क्षत्रप जो शिवराज सिंह चौहान के लिए सरदर्द बनते जा रहे हैं उनको भी साईज में लाया जा सकता है। 2018 में विन्ध्य में भाजपा का जलजला रहा है। यहां 30 में से 24 सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था।

इसके अलावा इस बात की चर्चा भी चल रही है कि महाकौशल क्षेत्र में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सात बार के विधायक गौरी शंकर बिसेन को मंत्री बनाया जा सकता है। महाकौशल अंचल पर अगर नजर डालें तो 38 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस को 24 तो भाजपा को महज 13 सीट ही मिल पाईं थीं। एक सीट प्रदीप जैसवाल ने निर्दलीय के रूप में जीती थी। अगर गौरी शंकर बिसेन को मंत्री बनाया जाता है तो जबलपुर, कटनी, मण्डला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सिवनी बालाघाट और छिंदवाड़ा वाले महाकौशल क्षेत्र में बालाघाट से दो मंत्री हो जाएंगे शेष जिले प्रतिनिधित्व विहीन ही रह जाएंगे।

महाकौशल क्षेत्र से नरसिंहपुर के विधायक और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के अनुज जालम सिंह पटेल का नाम भी राज्यमंत्री के लिए तेजी से उभरकर सामने आया है। इससे महाकौशल क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ाने और लोधी वोटर्स को साधने का काम एक साथकिया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चाह रहीं हैं कि उनके भतीजे और खरगापुर के विधायक राहुल लोधी को मंत्री बनाया जाए। इसके अलावा छतरपुर के मलहरा विधान सभा क्षेत्र के प्रद्युम्न सिंह लोधी का नाम भी मंत्री पद के लिए सामने आ रहा है। इन तीनों नामों पर ही पेंच फसा दिख रहा है।

भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो मंत्रीमण्डल विस्तार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री एवं मध्य प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा के क्षत्रप कैलाश विजयवर्गीय सहित कुछ बड़े नेताओं के द्वारा इन नामों पर विचार कर अंतिम रूप दिए जाने के लिए बैठकों के दौर जारी हैं।

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