मैं तो शरीर हूं पर मुकेश तो मेरी आत्मा है: अभिनेता राजकपूर

हिंदी फिल्मों के मशहूर पार्श्व गायक स्वर्गीय मुकेश की 47वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए, मैं तो शरीर हूं पर मुकेश तो मेरी आत्मा है: अभिनेता राजकपूर

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  अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं नेशनल मीडिया नेटवर्क फिल्म एंड टीवी अवॉर्ड्स फाउंडेशन ट्रस्ट के चेयरमेन दयानंद वत्स ने आज संघ के मुख्यालय बरवाला में हिंदी फिल्मों के मशहूर पार्श्व गायक स्वर्गीय मुकेश की 47वीं पुण्यतिथि पर उनके करोड़ों प्रशंसकों की और से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अपने संबोधन में वत्स ने कहा कि मुकेश दिल्ली के रहने वाले थे। उन्होंने अपना पहला गीत दिल जलता है तो जलने दे गाया था जो अभिनेता मोतीलाल पर फिल्माया गया था। यह गीत मुकेश ने अपने अजीज गायक के.एल सहगल की तर्ज पर गाया था । यह गीत बहुत प्रसिद्ध हुआ था। सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक राजकपूर की सारी फिल्मों में मुकेश ने ही सारे गाने गाए। सभी गानें लोकप्रिय हुए।

राजकपूर ने एक बार कहा था मैं तो शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है। राजकपूर की टीम में गायक मुकेश ,गीतकार शैलेन्द्र,  हसरत जयपुरी, और संगीतकार शंकर जयकिशन ने लंबी पारी खेली। बाद में मुकेश ने कल्याण जी आनंद जी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ भी गाया। अभिनेता राजकपूर पर फिल्माए गए फिल्म अनाड़ी में गाए उनके गीत सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी पर मुकेश को पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला। उसके बाद वर्मा मलिक के लिखे गीतों पर मनोज कुमार की पहचान और बेईमान के लिए तथा यश चोपड़ा की अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म कभी कभी के लिए साहिर लुधियानवी  द्वारा  लिखे गीत से मुकेश को सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का  चौथा फिल्मफेयर अवार्ड मिला। रजनीगंधा में मुकेश के गाए गीत  कई बार में ही देखा है को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। 50के दशक में मुकेश ने सबसे ज्यादा खाने दिलीप कुमार के लिए गाए। मिलन में सुनील दत्त और फिरोज़ खान के लिए भी मुकेश ने आवाज दी। वत्स ने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद उनके कऱोडों प्रशंसकों को गहरा सदमा लगा। राजकपूर की तो आत्मा ही चली गयी। मुकेश के यह दोनों गीत आज भी सुने जाते हैं और जाने वाले हो सके तो लौट के आना और जाने चले जाते हैं कहां दुनिया से जाने वाले, दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई काहे को दुनिया बनाई, सजन रे झूठ मत बोलो, जय बोलो बेईमान की, सबसे बड़ा नादान वहीं है जो समझे नादान मुझे। मुकेश आजीवन अपने गाए गीतों से अपने प्रशंसकों के दिलों में सदा अमर रहेंगे।

दयानंद वत्स

राष्ट्रीय महामंत्री 

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