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‘दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत’
दिल्ली के राजस्व रिकार्ड में स्थापित 357गांवों की मूल आबादी के अस्तित्व, आत्मसम्मान, अस्मिता, संस्कृति एवं परंपराओं की रक्षा एवं संपूर्ण ग्रामीण विकास को समर्पित 36 बिरादरी सर्वजातीय एकमात्र, प्रतिनिधि सामाजिक संगठन फैडरेशन ‘दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत’ के अध्यक्ष पूर्व उप-कुलपति ओर पश्चिमी दिल्ली के बापडोला गांव के मूल निवासी प्रो (डॉ.) राजबीर सोलंकी, उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के बरवाला गांव के मूल निवासी वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी शिक्षाविद् डॉ.दयानंद वत्स भारतीय, सुलतानपुर डबास गांव के कार्यकारी अध्यक्ष श्री नरेश डबास ओर लिबासपुर गांव के महासचिव प्रो(डॉ) हंसराज सुमन ने दिल्ली के सातों नवनिर्वाचित लोकसभा सांसदों, तीनों राज्यसभा सांसदों, 70 विधधायकों ओर 272 निगम पार्षदों को याद दिलाया है कि उन सबके निर्वाचन क्षेत्र में गांव भी बसते हैं। दिल्ली में लगभग 357 गांव आज भी अस्तित्व में हैं लेकिन चुने हुए सभी जन-प्रतिनिधियो की उपेक्षा के कारण आजादी के 77सालों के बाद भी दिल्ली देहात के गांवों के लोग विकास की दौड़ में पीछे छूट गये हैं। वोटों की राजनीति के चलते गांवों के लोगों का दबदबा खत्म करने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक जे जे कालोनी बसा दी गई। जिसके कारण राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि गांवों के वोटों की ज्यादा परवाह नहीं करते। 77 सालों से दिल्ली के 357गांवों के मूल ग्रामीणों की हो रही अनदेखी से दिल्ली के गांवों की हालत स्लम से भी बद्तर हो गई है। दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी शिक्षाविद् डॉ.दयानंद वत्स भारतीय ने नगर निगम, विधानसभा ओर लोकसभा, राज्यसभा के दिल्ली से निर्वाचित सभी जनप्रतिनिधियों के सामने दिल्ली देहात का 20 सूत्रीय मांग पत्र रखा है जिनके
– प्रमुख मुद्दे – हैं
1- दिल्ली के गांवों को हरियाणा की तर्ज पर लाल डोरा मुक्त किया जाए। लैंड पूलिंग योजना के कारण सालों से बंद पड़े मुटेशन के काम को तत्काल शुरू कराएं। पैतृक संपत्ति तक की मुटेशन सरकार ने बंद की हुई है। यह लोगों के साथ घोर अन्याय है। लैंड पूलिंग को किसान हितैषी ओर विलेज डेवलपमेंट प्लान के अनुसार ग्राम केंद्रित बनाया जाए।
2- प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना राजधानी दिल्ली के सभी 357 गांवों में तत्काल लागू की जाए ओर सभी ग्रामवासियों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक प्रमाण जारी किए जाएं।
20सूत्रीय कार्यक्रम के तहत गांवों के अनुसूचित जातियों और जनजातियों के जिन गरीब ग्रामीणों को आवासीय प्लाट मिले थे। उनका मालिकाना हक आज तक नहीं मिला है। उन्हें इसका मालिकाना हक दिया जाए।
3- दिल्ली के गांवों के संपूर्ण विकास के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण ‘डीडीए’ की तरह दिल्ली ग्रामीण विकास प्राधिकरण ‘डी.वी.डी.ए’ का गठन किया जाए। सभी गांवों में प्रवेश द्वार बनवाए ओर उन पर गांव के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व ओर ग्रामीणों के योगदान को दर्शाता शिलालेख लगवाया जाए।
4- दिल्ली के सभी गांवों का विलेज डेवलपमेंट
प्लान बनवाया जाए। बिना डेवलपमेंट प्लान बनाए ओर शहरों जैसी सुविधाएं गांवों में दिए बिना गांवों में हाउस टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। सभी गांवों की आवासीय संपत्ति हाउस टैक्स मुक्त होनी चाहिए।
5- दिल्ली में मूल ग्रामीण भाषा एवं सांस्कृतिक अकादमी की स्थापना हो। दिल्ली के हर संसदीय, विधानसभा ओर वार्ड में एक-एक माडल विलेज बनाया जाए। हर गांव में पुस्तकालय, वाचनालय, फिजिकल सैंटर, साइबर कैफे बनाए जाएं।
6- दिल्ली के सातों संसदीय क्षेत्रों के गांवों में दिल्ली से नवनिर्वाचित सातों सांसद केंद्र सरकार की सारी योजनाएं अपने अपने क्षेत्र के गांवों में लाने का काम करें।व्यावसायिक ओर तकनीकी, मेडिकल शिक्षा के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय, कालेज, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय ओर शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान खोले जाएं। उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के नरेला, पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ ओर दक्षिण दिल्ली के मांड़ी गांव में गांव वालों ने कालेज के निर्माण के लिए ग्रामसभा की जो भूमि बरसों पहले दी हुई है उस पर कालेजों का निर्माण शुरू कराया जाए। बवाना में अदिति कालेज ओर कैर में भगिनी निवेदिता कालेज की नई बिल्डिंग बनवाने का काम शुरू हो।
7- दिल्ली के सातों संसदीय क्षेत्रों के गांवों में चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक-एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, ट्रामा सेंटर ओर जहां औधोगिक क्षेत्र हैं वहां ई.एस.आई अस्पताल ओर आधुनिकतम डिस्पेंसरी ओर डायग्नोस्टिक सेंटर खोले जाएं।
8- दिल्ली के किसी भी गांव में शहर का कूड़ा-खत्ता नहीं डाला जाएगा, कोई कूड़ा डंपिंग ग्राउंड नहींं बनाया जाएगा।
9- दिल्ली मैट्रो की कनेक्टिविटी रिठाला से नरेला, नजफगढ़ से नांगलोई, नजफगढ़ से ढांसा बार्डर, नजफगढ़ से बहादुरगढ, समयपुर बादली से औचंदी बार्डर तक पहुंचाने के लिए
सांसद योजना बनवाएं।
10- सातों संसदीय क्षेत्रों के गांवों में गंदे पानी ओर बरसाती पानी की निकासी के लिए आधुनिकतम ड्रेनेज सिस्टम विकसित कराया जाए।
11- सभी गांवों में नल से पीने का स्वच्छ जल
उपलब्ध कराने के लिए पानी की नई लाईने बिछाने की योजना बनाई जाए।
12- हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक पशु चिकित्सालय खोला जाए।
13- सभी गांवों में फिरनी रोड, श्मशानघाट, तालाब सौंदर्यीकरण, वातानुकूलित समुदाय भवन, चौपाल, गलियां
नालियां बनाई जाएं। गांवों को जोड़ने वाली सभी मुख्य ओर संपर्क सड़कें उच्च श्रेणी की बनवाई जाए। दिल्ली ग्रामोदय योजना के तहत गांवों के विकास के लिए जो 900करोड रुपए आवंटित किए गए हैं उनके सही उपयोग पर निगरानी तंत्र सरकार बनाए।
14- ग्रामीण महिलाओं ओर युवाओं के लिए स्किल सैंटर, जिम, पार्क ओर पुस्तकालय, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनवाए जाएं।
15- सभी गांवों को मैट्रो क्नैक्टिविटि देने के लिए बस सेवा हो।
16- डीडीए रोहिणी, नरेला, द्वारका सब- सिटी में अपनी आवासीय कालोनियों में आधुनिकतम सीएनजी/विद्युत चालित आधुनिकतम शवदाह गृहों का निर्माण कराएं।
17- जहां झुग्गी वहां मकान योजना की तर्ज पर भूमि अधिग्रहण के बाद बरबाद हो चुके गांवों के कौशल निपुण खेतिहर गरीब मजदूरों ओर भूमिहीनों को रोजगार के लिए दुकानें ओर आवासीय फ्लैट दिए जाएं। 18- सभी गांवों में पीएनजी रसोई गैस पाइप लाइन बिछाई जाए।
19- दिल्ली में कृषि भूमि का सर्किल रेट 10 करोड रूपए प्रति एकड़ किया जाए ओर अधिगृहीत भूमि के बदले लंबित वैकल्पिक प्लाट देने की पुरानी योजना शुरू कराई जाए।
20- गावों की जमीन पर बने अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों,स्कूल,कालेजों में गांवों के बच्चों को एडमिशन ओर नौकरी में प्राथमिकता दी जाए। दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत ने सभी जन-प्रतिनिधियो से मांग की है कि वे सभी केंद्र ओर दिल्ली सरकार तथा निगम की सभी योजनाएं अपने अपने क्षेत्र के गांवों में लेकर आएं। अब ओर उपेक्षा सहन नहीं की जाएगी। इसलिए दिल्ली देहात के लाखों लोग अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से केंद्र और दिल्ली की सरकार से अपना जीने का मौलिक अधिकार चाहते हैं। हम दिल्ली के गांवों के लोग भी इसी भारत देश की राजधानी दिल्ली में बंधकों ओर आदिवासियों की भांति रह रहे हैं। देश को आजाद हुए 77 साल हो गये लेकिन दिल्ली के 357गांवों के लोग आज भी अंग्रेजों के बाएं लाल डोरे में कैद हैं। वत्स ने कहा कि दिल्ली के गांवों में बैंकों की शाखाएं हैं लेकिन वे गांव के लोगों को ऋण नहीं देते क्योंकि सरकार ने उन्हें उनकी अपनी ही संपत्ति का मालिकाना हक तक नहीं दिया है।
बिजली ओर पानी के कनेक्शन तक नहीं मिल रहे हैं। इससे लोगों का जीना दुश्वार हो हो गया है।
डॉ.दयांनंद वत्स भारतीय