तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के छठे दिन उत्तम संयम धर्म पर भक्ति की बयार बही। सिद्धार्थ जैन और उनके साथियों की ओर से प्रस्तुत भजनों से रिद्धि-सिद्धि भवन में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं आस्था के सागर में झूमते नज़र आए। उत्तम संयम धर्म पर सुगंध दशमी के उपलक्ष्य में विशेष पूजन हुआ। रिद्धि-सिद्धि भवन में श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से अनन्त चौधरी, द्वितीय स्वर्ण कलश से हितेश जैन, तृतीय कलश से सार्थक जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से अमन जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। श्रीजी की स्वर्ण कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य मेडिकल कॉलेज के डीन एकेडमिक्स डॉ. एसके जैन और रजत कलश से शांति धारा करने का सौभाग्य सुजल, सोमिल, नमन, हर्ष, वैभव, अर्पित, वंश और ऋषभ जैन को मिला। सभी धार्मिक अनुष्ठानों में कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य अष्ट कन्याओं- हर्षिता जैन, पूर्वा, संचिता, अंशिका, शैवी, डॉली, आस्था और सेजल जैन को मिला। दस दिनी उपवास का संकल्प लेने वाले श्रावक-श्राविकाओं को सम्मानित किया गया। धर्ममय माहौल में तत्वार्थसूत्र जैसे संस्कृत के क्लिष्ट शब्दों वाली रचना के षष्ठम अध्याय को संभव जैन ने रोचक और भावपूर्ण तरीके से वाचन किया।
प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री के मार्गदर्शन में सुगंधदशमी व्रत और पूजन, शीतलनाथ जिन पूजा, पंच परमेष्ठि पूजन, सोलहकारण पूजन और दशलक्षण पूजन की विधि-विधाए से कराए गए। भजनों- मन की वीणा से गुंजित मंत्र बड़ा प्यारा है…, णमोकार सब जपते चलो नर नारी…, दाता बड़ा ही दयालु अजमेर का…, तुमने भक्तों में किया जादू रे…, रंगमा रंगमा रंगमा म्हरे रंग में रंग गये रे…, महावीरा बोलो महावीरा…, खुशियों की आयी देखो बेला मंदिर में लगेगा मेला…, विद्यासागर नाम रे विद्या का धाम रे… आदि से रिद्धि-सिद्धि भवन श्रीजी की भक्ति में सराबोर हो गया। एक-एक दिन की पूजन सामग्री की व्यवस्था का सौभाग्य सीसीएसआईटी कॉलेज के डॉ. रवि जैन, हॉस्पिटल के श्री संजय जैन, श्रीमती सुनीति और डॉ. एसके जैन ने प्राप्त किया। इस सुअवसर पर मुरादाबाद के विभिन्न मंदिरों के श्रावकों ने दर्शन किया और संगीतमय पूजन के साक्षी बने। प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री ने उत्तम संयम धर्म पर बोलते हुए कहा, एक पल के लिए यह न भूलें कि आप यमराज के मुख में है, जब आपकी मृत्यु आएगी तो आप रोक नही पाएंगे। कभी भी अपने धन, पद, मान का उपयोग किसी के अपमान में न करे। पुण्य का प्रभाव ही आपको सद्गति और जीवन में उपलब्धियां दिलवाता है। मुनिराज का अपमान या निंदा करना ठीक नही है।
दूसरी ओर उत्तम सत्य पर मंगलचारण के साथ सांस्कृतिक संध्या का ऑडी में शुभारम्भ किया गया। टिमिट कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने मंगलचारण में अरिहंतों की महिमा को अत्यंत भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया। जैन नाटक चंद्र जीवन रत्नाकर के जरिए संदेश दिया, एक मुनि महाराज के उपदेश और आशीर्वाद से डाकू को अपनी गलतियों का अहसास हुआ और उसने पश्चाताप करते हुए सही मार्ग अपनाया। लोकनृत्य के जरिए शिखरजी की महिमा, धार्मिक महत्ता और सुंदरता को विस्तारपूर्वक और मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया। नशा मुक्तिपर आधारित नुक्कड़ नाटक में ऐसे परिवार की कहानी दिखाई गई, जहां बेटे और बहू दोनों नशे की बुरी आदतों में फंसे थे। माताजी के आशीर्वाद और धार्मिक नियमों के पालन से वे इस बुरी आदत से मुक्त हुए। ऑडी में मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस मौके पर टीएमयू जैन स्टडीज़ के प्रोफेसर चेयर प्रो. धर्मचन्द्र जैन के संग-संग वीसी प्रो. वीके जैन, टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन, प्रो. एसके जैन, श्री मनोज जैन, श्री विपिन जैन आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इससे पूर्व श्रीजी की आरती को जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन को मिला। कार्यक्रम का समन्वय टिमिट के डॉ. विभोर जैन, डॉ. अंकित कुमार बलियान, श्रीमती दीप्ति राज वर्मा, कु. श्रेया खरबंदा ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्टुडेंट्स- मुस्कान, विशाल जैन, प्राशु जैन, अनमोल जैन, श्रुत जैन, आगम जैन, अतिशय जैन आदि ने प्रतिभाग किया। अंत में अंतिम वर्ष के छात्रों को मोमेंटो प्रदान किए गए और सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। महोत्सव में ब्रहमचारिणी दीदी डॉ. कल्पना जैन, श्रीमती करुणा जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. अक्षय जैन आदि उपस्थित रहे।