नई दिल्लीः राजस्थान में अपने नेतृत्व का मुद्दा कांग्रेस द्वारा खुला रखे जाने के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि वह किसी पद को प्राथमिकता नहीं देते तथा मुख्यमंत्री पद के संबंध में पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे. कांग्रेस ने गहलोत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर बने संशय को बुधवार को खत्म कर दिया था. पार्टी ने फैसला किया कि दोनों चुनाव लड़ेंगे. गहलोत (67) अभी सरदारपुरा से विधायक हैं वहीं पायलट (41) टोंक से पहली बार राज्य चुनाव लड़ रहे हैं. पायलट दौसा और अजमेर से सांसद रह चुके हैं।

गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस की जीत होने की स्थिति में खुद को मुख्यमंत्री पद की होड़ से अलग नहीं किया और बातचीत में कहा कि पार्टी के हित में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे, उसके लिए वह तैयार हैं।

प्रभावशाली कांग्रेस महासचिव गहलोत ने कहा, ”कांग्रेस अध्यक्ष मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे, उसके लिए मैं तैयार हूं. मैं किसी भी पद के लिए किसी तरह की लॉबिंग के खिलाफ हूं. मैंने कभी लॉबिंग नहीं की, यहां तक कि उस समय भी नहीं, जब मैं मुख्यमंत्री के रूप में असंतोष का सामना कर रहा था. अगर वे (आलाकमान) पार्टी के हित में मुझे राजस्थान भेजते हैं तो यह उनका निर्णय होगा। ”

उन्होंने कहा कि पांच बार लोकसभा सदस्य, तीन बार केंद्रीय मंत्री और दस साल तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अपने लंबे राजनीतिक सफर के साथ वह ”काफी संतुष्ट” हैं।

उनसे सवाल किया गया था कि अगर कांग्रेस राजस्थान विधानसभा में जीत हासिल करती है तो क्या वह मुख्यमंत्री पद की होड़ में शामिल होंगे., इसके जवाब में गहलोत ने कहा, “मेरे लिए कोई पद प्राथमिकता नहीं है. मैं अपनी राजनीतिक पारी से काफी संतुष्ट हूं और अब मेरे सामने सवाल यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को पहले राजस्थान में और फिर देश में सत्ता में कैसे लाया जाए. मुझे जो भी जिम्मा सौंपा जाएगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा”