नई दिल्लीः 2019 के मद्देनजर पूरे देश की नजर जिस एक गठबंधन की ओर लगी है, वह है यूपी में एसपी-बीएसपी के बीच प्रस्तावित गठबंधन क्योंकि इस गठबंधन के जरिए सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति की तस्वीर बदल सकती है। गोरखपुर और फूलपुर के चुनाव के मौके पर एक-दूसरे के नजदीक आकर दोनों दलों ने भविष्य में गठबंधन किए जाने का संकेत दिया था लेकिन तबसे बात आगे नहीं बढ़ी। कहा जा रहा है कि जिस एक ठोस फॉर्म्युले की बुनियाद पर दोनों दलों के बीच गठबंधन होना है, वह अभी तक तलाशा नहीं जा सका है। कई मौकों पर बीएसपी चीफ मायावती ने यह जरूर कहा कि किसी भी गठबंधन में अगर उन्हें सम्मानजनक हिस्सा नहीं मिला तो वह अकेले ही चुनाव मैदान में उतरना बेहतर समझेंगी।
एसपी खुद की मानती है मजबूत
2014 के चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में बीएसपी को एक भी सीट पर कामयाबी नहीं मिली थी, जबकि समाजवादी पार्टी पांच सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने भले ही सत्ता गंवा दी हो लेकिन वह बीएसपी से आगे ही रही थी। इस लिहाज से पार्टी यूपी में खुद को बीएसपी से मजबूत मानती है और किसी भी गठबंधन में उसका दावा बीएसपी के मुकाबले ज्यादा सीटों का बनता है लेकिन बीएसपी की मांग किस हद तक जाती है, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।