![]() सरकारी विज्ञापनों में कटेंट रेग्यूलेशन के लिए बनी समिति ने अपनी जांच पड़ताल में पाया कि सरकारी विज्ञापनों में छापी गई सामग्री सुप्रीम कोर्ट की तय की गई गाइडलाइन के मुताबिक नहीं थी। यह रकम करीब 97 करोड़ रुपये की बनती है, जिसमें से कुछ हिस्सा विज्ञापन एजेसियों को भुगतान कर दिया गया है, जबकि बकाया पैसे को लेकर विवाद जारी है कि अब इसका भुगतान कौन करेगा, सरकार या फिर आम आदमी पार्टी। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि दिल्ली सरकार के ऐसे विज्ञापनों के पैसे आम आदमी पार्टी से वसूले जाएं, जिसमें पार्टी या अरविंद केजरीवाल का प्रमोशन किया गया है। |
देश के शीर्ष ऑडिटर, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने महीनों पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पब्लिसिटी पर जो 526 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, वह पार्टी को प्रमोट करने के लिए था, न कि सरकार के. विभिन्न अखबारों, एजेंसियों में दिए गए इन विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तस्वीर का प्रयोग किया गया था. बैजल ने न सिर्फ मुख्य सचिव से धन की उगाही करने को कहा है, बल्कि इस मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद आप पर ‘जनता के धन का दुरुपयोग’ करने का आरोप लगा था. | |