
लोकसभा में भाजपा सांसदों ने आशा कर्मियों के कठिन एवं लोक कल्याणकारी कार्यो को देखते हुए उनका मानदेय बढ़ाने और उन्हें स्थायी बनाने की मांग की।
सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के नाना पाटोले ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आशा कार्यकर्ता जच्चा.बच्चा स्वास्थ्य देखभाल के कार्य को सुचारू रूप से कर रही हैं। इनकी सेवाओं के कारण बाल कुपोषण के मामले में स्थिति बेहतर हुई है, मातृ एवं बाल मृत्युदर की स्थिति सुधरी है। लेकिन आशा कार्यकर्ताओं के हालात नहीं बदले।
उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को कुछ मानदेय मिलता है। जन्म देने वाली महिला अगर बीपीएल श्रेणी में आती है तभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस स्थिति को देखते हुए आशा कार्यकर्ताओं को विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाए और उन्हें नियमित किया जाए।
आशा कार्यकर्ताओं के विषय को उठाते हुए इसी पार्टी के महेन्द्र नाथ पांडे ने कहा कि बाल एवं मातृ स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आशा और आशा संगिनी की शुरूआत की गई थी। 2016 में बाल एवं मातृ मृत्यु दर की स्थिति में सुधार आया है लेकिन आशा कार्यकर्ताओं की स्थिति में सुधार नहीं आया।
उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता 24 घंटे अपनी सेवाएं देती हैं लेकिन उन्हें वह दर्जा नहीं मिला जिसकी वे हकदार हैं। हम मांग करते हैं कि आशा कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर का दर्जा किया जाए, इनका जीवन बीमा कराया जाए और मानदेय बढ़ाया जाए।
( Source – पीटीआई-भाषा )