
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा मामले में एक महिला को मासिक गुजारा भत्ता दिये जाने के आदेश के खिलाफ उसके पति की अपील खारिज कर दी है और कहा है कि इसका उद्देश्य मुसीबत में फंसी महिला एवं बच्चों की खानाबदोशी और अभावग्रस्तता रोकना है।
विशेष न्यायाधीश रजनीश कुमार गुप्ता ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को बरकरार रखा जिसने संबंधित व्यक्ति को अलग रह रही अपनी पत्नी और सालभर की बेटी को 5750 रूपए प्रति माह गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा था कि महिला कमाती नहीं है और उसे अपनी नाबालिग बेटी का भी ख्याल रखना है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अंतरिम गुजारा भत्ता का उद्देश्य मुसीबत में फंसी महिला एवं नाबालिग बच्चे की खानाबदोशी और अभावग्रस्तता रोकना है। अपीलकर्ता की वित्तीय स्थिति और इस तथ्य को भी कि प्रतिवादी का कोई आय का स्रोत नहीं है, ध्यान में रखते हुए मैं निचली अदालत के गुजारा भत्ता संबंधी आदेश में कोई विसंगति नहीं पाता और यह तर्कसंगत है। अतएव संबंधित आदेश बरकरार रखा जाता है। अपील खारिज की जाती है क्योंकि उसमें दम नहीं है।’’ महिला ने शिकायत की थी कि उसके पति ने कम दहेज लाने को लेकर उसका उत्पीड़न किया। वर्ष 2015 में बच्ची के पैदा होने के बाद उसने उसे और बच्ची को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया जिसकी वजह से उसका और उसकी बेटी के सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई ।
हालांकि उसके पति ने आरोपों से इनकार किया और अपील में उस पर उसके प्रति क्रूर होने का आरोप लगाया।
( Source – पीटीआई-भाषा )