
रेडीमेड और ब्रांडेड कपड़ों के इस दौर में अपनी आजीविका को लेकर संघर्ष कर रहे दजर्यिों के लिए इस बार ईद का त्यौहार बहार लेकर आया है। उनकी दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ टूटी पड़ी है और आलम यह है कि आमतौर पर ग्राहकों की बाट जोहने वाले इन टेलरों को इन दिनों में खाने, पीने और सोने तक फुर्सत बमुश्किल मिल पा रही है।
ईद जैसे जैसे नजदीक आ रही है, वैसे वैसे उनकी व्यस्तता भी बढ़ती जा रही है। ज्यादातर दर्जी रोजाना 18 से 20 घंटे तक काम कर रहे हैं। अब शायद ही कोई दुकान मिले जो सिलाई के नए ऑर्डर ले। ईद के लिए अब उन्हें कोई फुर्सत नहीं हैं।
मीर और गालिब की दिल्ली में खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में सिलाई की दुकानें रात-रात भर खुली नजर आती हैं। पुरानी दिल्ली के दरियागंज के इलाके में बीते कई वर्षो से सिलाई के काम में लगे Þअजंता टेलर्स Þ के अब्दुल वहाब का कहना है कि उनके पास काम इतना ज्यादा है कि वह कुछ दिनों से अपने परिवार से भी नहीं मिल पाए हैं।
वहाब का कहना है, Þ Þईद का त्यौहार हमारे लिए बड़ी रहमत लेकर आया है। इस बार हमें इतने ऑर्डर मिले हैं कि हमें खाने, पीने और सोने तक की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। लेकिन इसका भी अपना मज़ा है। हम चाहते हैं कि ऐसे ही हमें खाने पीने के लिए वक्त कभी नसीब नहीं हो। Þ Þ वहाब कहते हैं कि इस बार उनके यहां आए ग्राहकों में से कई गैर मुस्लिम हैं जो अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ ईद मनाने के लिए कपड़े सिलवा रहे हैं। ऐसे ग्राहक ज्यादातर कुर्ता पायजामा या पठानी सूट सिलवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोग इंटरनेट से कुर्ते पायजामे के डिजाइन निकाल कर उस डिजाइन के सूट सिला रहे हैं जो उन्हें सस्ते पड़ते हैं।
( Source – PTI )