सरकार ने 5 नवंबर, 2015 को स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) का शुभारंभ किया था। इसके बाद इस योजना को सरल बनाने के लिए कई सुझाव प्राप्त हुए हैं जिससे कि ग्राहक इसमें भागीदारी कर सकें। इसी के अनुरूप, सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बैंक ने 21 जनवरी, 2016 को जीएमएस पर एक मास्टर डायरेक्शन जारी किया जो जीएमएस पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 22 अक्टूबर, 2015 को जारी मास्टर डायरेक्शन को संशोधित करता है। इस योजना में किए गए परिवर्तन इस प्रकार हैं:
1) मझोली एवं दीर्घकालिक अवधि सरकारी जमाओं (एमएलटीजीडी) के तहत अपरिपक्व मोचन (रिडेम्प्शन): किसी भी मझोली अवधि के जमा को तीन वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी जबकि दीर्घकालिक अवधि के जमाओं को पांच वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी। ये अदा किए जाने वाले ब्याज में कटौती के विषय होंगे।
2) बैंकों को मझोली एवं दीर्घकालिक अवधि स्वर्ण जमाओं पर उनकी सेवाओं अर्थात स्वर्ण शुद्धता जांच परीक्षण शुल्क, परिष्कृत करने, भंडारण एवं माल ढुलाई यानी ट्रांसपोर्टेशन शुल्क आदि के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क। बैंकों को इस योजना के लिए 2.5 फीसदी कमीशन प्राप्त होंगे जिसमें संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्र/रिफाइनर्स के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क शामिल हैं।
3) स्वर्ण जमाकर्ता अपने सोने को सीधे परिशोधक को भी दे सकते हैं बजाये कि केवल संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्रों (सीपीटीएस) के जरिये देने के। यह संस्थानों समेत बल्क यानी थोक जमाकर्ताओं को योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
4) भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने ऐसे परिशोधकों के लिए लाइसेंस की शर्तों में संशोधन किया है जिनके पास पहले से ही राष्ट्रीय परीक्षण एवं अशांकन प्रयोगशाला मान्यता बोर्ड (एनएबीएल) की मान्यता है। अब उनके लिए मौजूदा तीन वर्ष की जगह एक वर्ष के अनुभव को स्वीकृति दे दी गई है। इससे लाइसेंसप्राप्त परिशोधकों की संख्या में बढोतरी होने की उम्मीद है।
5) बीआईएस ने अपनी वेबसाइट पर एक रूचि अभिव्यक्ति (ईओआई) पत्र प्रकाशित किया है जिसमें इस योजना में एक सीपीटीसी के रूप में काम करने के लिए 13,000 से अधिक लाइसेंसप्राप्त जौहरियों से आवेदन आमंत्रित किया गया है, बशर्ते कि उनका बीआईएस के लाइसेंसप्राप्त परिशोधकों से करार हो।
6) इस योजना के तहत संग्रहित सोने की मात्रा को एक ग्राम के तीन दशमलव तक व्यक्त किया जाएगा। यह ग्राहक को जमा किए गए सोने के लिए बेहतर मूल्य देगा।
7) सीपीटीसी/परिशोधक के पास जमा सोना कितनी भी शुद्ध हो सकती है। सीपीटीसी/परिशोधक सोने की जांच करेंगे एवं इसकी शुद्धता का निर्धारण करेंगे जोकि जमा प्रमाणपत्र जारी किए जाने के लिए आधार होगा।
8) अल्पकालिक अवधि के जमाओं के मामले में बैंक अपनी स्थिति को हेज करने (रोके रखने) के लिए मुक्त होंगे।
9) ब्याज गणना की प्रणाली एवं जीएमएस जमा पर ऋण लेने के तंत्र जैसे मुद्वों का भी स्पष्टीकरण कर लिया गया है।
भारतीय बैंक संगठन (आईबीए) बैंकों को बीआईएस लाईसेंसप्राप्त सीपीटीएस एवं परिशोधकों की सूची संप्रेषित करेगा। जमाकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार ने आकाशवाणी एवं एफएम रेडियो पर मीडिया अभियान जारी रखा था। प्रिंट एवं मोबाइल एसएमएस अभियान की भी शुरूआत कर दी गई है। सरकार ने एक समर्पित वेबसाइट www.finmin.nic.in/swarnabharat और एक टाॅल फ्री नंबर 18001800000 भी प्रारंभ किया है जो इन योजनाओं के बारे में सभी जानकारियां मुहैया कराता है।
एक बार यह फिर से स्पष्ट किया जाता है कि जीएमएस के तहत कर छूटों में जमा किए गए सोने पर अर्जित ब्याज पर छूट एवं ट्रेडिंग के जरिये या रिडेम्प्शन पर प्राप्त पूंजीगत लाभों पर छूट शामिल है। यह भी दुहराया जाता है कि सीबीडीटी निर्देश संख्या 1916, तारीख 11 मई, 1994 के तहत आईटी सर्च यू/एस 132 के दौरान प्रति विवाहिता 500 ग्राम सोने के जवाहरात, प्रति अविवाहिता 250 ग्राम सोने के जवाहरात एवं परिवार के प्रति पुरुष सदस्य 100 ग्राम सोने को कर अधिकारियांे द्वारा जब्त किए जाने की जरूरत नहीं है।
20.1.2016 की तारीख तक इस योजना के जरिये कुल 900.087 किलो ग्राम सोना जुटाया गया है। ऐसी उम्मीद की जाती है कि उपरोक्त संशोधन इस योजना को संभावित जमाकर्ताओं के लिए और अधिक आकर्षक बना देंगे।
स्वर्ण भारतीय अर्थतन्त्र का कैंसर है। हम एक ग्राम सोना उत्पादन नही करते लेकिन हमारी सोने की भूख बहुत ज्यादा है। जबकी सोना एक ऐसा निवेश है जिससे ना तो टैक्स मिलता है, ना रोजगारी मिलती है और ना उत्पादन बढ़ता है। विकसित देश सारी स्वर्ण खादानों में सस्ते में सोना उत्पादन कर हमे बेच देते है। भारत जैसे देश को तो स्वर्ण रखने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।