
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के 29,000 से ज्यादा गांवों में सूखा घोषित कर दिया है । इनमें ज्यादातर गांव मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में आते हैं ।
सरकार ने कल एक शुद्धिपत्र जारी कर स्पष्ट किया था कि जहां भी ‘सूखे जैसी स्थिति’ का जिक्र किया गया था, उसे ‘सूखा’ पढ़ा जाएगा । महाराष्ट्र सरकार ने इस महीने की शुरूआत में बंबई उच्च न्यायालय को इस बाबत आश्वासन दिया था ।
कल जारी एक सरकारी प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘राज्य सरकार पहले ही ऐसे गांवों में सूखा राहत के उपाय कर चुकी है जहां आनेवाड़ी :खराब हुई फसलों का समानुपात: खरीफ और रबी मौसम में 50 पैसे से कम है । इसके बाद भी, भविष्य में, जिन गांवों के लिए सूखे जैसी स्थिति का जिक्र किया गया है, वहां सूखा कहा जाएगा ।’’ महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गंभीर जल संकट के मद्देनजर राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि वह राज्य के 29,000 से ज्यादा गांवों में सूखा घोषित करेगी और सूखा नियमावली, 2009 के मुताबिक राहत के सारे उपाय करेगी ।
जल संकट के मुद्दे पर दायर कई जनहित याचिकाओं के जवाब में सरकार ने अदालत को बताया था कि वह शुद्धिपत्र जारी कर स्पष्ट करेगी कि जहां-जहां ‘सूखे जैसी स्थिति’ और ‘सूखा प्रभावित इलाकों’ का संदर्भ दिया गया है, वहां ‘सूखा’ पढ़ा जाना चाहिए । हलफनामे में कहा गया कि सरकार सूखा प्रभावित इलाकों, खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में पानी की किल्लत से निपटने के लिए सख्ती से विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है और कई कदम उठा रही है ।
( Source – पीटीआई-भाषा )