
केंद्रीय ऊर्जा, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल बुधवार को यहां कोल इंडिया लिमिटेड के एक पोर्टल ‘कांट्रैक्ट लेबर पेमेंट मैनेजमेंट सिस्टम यानी ठेका श्रम भुगतान प्रबंधन प्रणाली’ की शुरुआत करेंगे।
इस अवसर पर श्री गोयल पिछले दो वर्ष के दौरान भारत को पूर्ण प्रकाशमय बनाने की दिशा में बेहतरीन काम करने वाले अपने मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और संगठनों/सांविधिक निकायों के कर्मचारियों को सम्मानित करेंगे।
सभी पीएसयू के सीएमडी, संगठनों/सांविधिक निकायों के प्रमुख और ऊर्जा, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
‘ठेका श्रम भुगतान प्रबंधन प्रणाली’ नाम के वेब पोर्टल का निर्माण श्रम विनियमन और उन्मूलन अधिनियम, 1970 के तहत आने वाले ठेका श्रमिकों के पारिश्रमिक भुगतान और अन्य लाभों के अनुपालन की निगरानी के लिए किया गया है। यह कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सभी सहायक कंपनियों के लिए एक एकीकृत प्रणाली है। मंत्रालय द्वारा विकसित यह एप्लीकेशन सीआईएल और उसकी सभी सहायक कंपनियों से जुड़े विभिन्न ठेकेदारों के सभी ठेका श्रमिकों का एक व्यापक डाटाबेस बनाए रखेगी। कोल इंडिया लिमिटेड की रांची स्थित सलाहकार सहायक सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) इस पोर्टल का चलाएगा।
अधिनियम के तहत आवश्यक ठेका श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान, मजदूरी स्लिप तैयार करने और रोजगार कार्ड आदि को मान्य बनाने के लिए इस प्रणाली में एक आंतरिक तंत्र है। यह पोर्टल श्रमिक पहचान संख्या (डब्ल्यूआईएन) के जरिए सभी ठेका श्रमिकों तक पहुंच उपलब्ध कराता है। इससे उनकी निजी जानकारियां एवं भुगतान की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। ठेका श्रमिक इस पोर्टल के जरिए अपनी शिकायतें भी दर्ज करा सकते हैं। यह प्रणाली देश के सभी नागरिकों को कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों के काम का एक स्नैपशॉट देखने की सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके अलावा ठेका श्रमिकों की संख्या, भुगतान की स्थिति, न्यूनतम देय मजदूरी आदि की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कंपनियों की विभिन्न लोकशनों पर मौजूद नोडल अधिकारी इस प्रक्रिया पर निगरानी रखेंगे और सभी ठेकेदारों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।
सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराई गई (जनरेटेड) अनुपालन घोषणा देने के बाद ही ठेकेदारों को भुगतान करने की योजना बनाई गई है।
( Source – PIB )