
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि वास्तव में लोकतंत्र की सबसे जवाबदेह संस्था यानी विधायिका के सामने विश्वसनीयता का संकट खड़ा है मगर जहां सम्भावनाएं होती हैं, वहीं उंगली भी उठ सकती है।
मुख्यमंत्री ने 17वीं विधानसभा के निर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिये गये सम्बोधन में कहा कि किसी लोकतंत्र में विधायिका का अपना महत्व है। जिन तीन स्तम्भों पर लोकतंत्र खड़ा है, उनमें विधायिका की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। हालांकि विधायिका के सामने विश्वसनीयता का संकट खड़ा है।
उन्होंने अपना एक अनुभव साझा करते हुए कहा ‘‘संसदीय लोकतंत्र में कोई एक संस्था ऐसी है जो सचमुच जवाबदेह है तो वह विधायिका ही है। जिस जनता ने हमें चुना है, पांच साल बाद हमें फिर उसी जनता के पास जाना होता है। निश्चित रूप से हमारी जवाबदेही होती है। क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि कोई न्यायाधीश या कार्यपालिका का कोई प्रतिनिधि अधिकारी पांच साल बाद जनता के बीच जाएगा.. बिल्कुल नहीं।’’ योगी ने कहा ‘‘इस देश में न्यायपालिका, सेना या नौकरशाही से सेवानिवृत्त व्यक्ति बाद में सांसद या विधायक बनना चाहते हैं, लेकिन फिर भी सांसदों और विधायकों पर उंगली उठती हैं। मेरा मानना है कि जहां सम्भावनाएं हैं, वहीं उंगली भी उठ सकती है।’’ उन्होंने कहा कि विश्वसनीयता का जो संकट हम सबके सामने हैं, उसमें कहीं ना कहीं सदन में हमारी अनुपस्थिति, मर्यादा से परे आचरण तथा जनप्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना भी कारण है। एक व्यक्ति द्वारा फैलायी गयी गंदगी से पूरी व्यवस्था बदनाम होती है। हम कैसे प्रत्येक जनप्रतिनिधि को विश्वसनीयता के प्रतीक के रूप में पेश कर सकें, यह प्रबोधन का कार्यक्रम इसीलिये आयोजित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी हार्दिक इच्छा है कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा देश की सभी विधानसभाओं के लिये एक आदर्श बन सके।
( Source – PTI )