
माननीय विधि एवम न्याय मंत्री,
भारत सरकार
नई दिल्ली
महोदय ,
न्यायिक सेवाओं को अखिल भारतीय सेवा बनाने के सम्बंध में
उक्त संदर्भ में समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन का इरादा रखते हैं । किंतु इस संदर्भ में मेरे विचार निम्नानुसार हैं –
1. वर्तमान में उच्च न्यायालयों में उसी न्यायालय में पूर्व में कार्यरत वकील न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हो जाते हैं और वहीं कार्य करते रहते हैं । तुलनात्मक रूप से उच्च न्यायलयों के न्ययाधीशों की संख्या निचले स्तर के न्यायाधिशों से काफी कम होती है । इसलिये पहले इस नीति को उच्च न्यायालयों के स्तर पर कठोरता से लागू किया जावे कि किसी भी उच्च न्यायालय में गृह राज्य के न्यायाधिशों की संख्या 10% से अधिक नहीं होगी ताकि भाई भतीजावाद की शिकायतें न्यूनतम हों।
2. न्यायाधिशों का अखिल भारतीय समूह बनाना एक लम्बी प्रक्रिया होगा क्योंकि देश के अलग अलग राज्यों के कानून, भाषा , संस्कृति , परिपाटियां भी अलग अलग हैं तथा किसी दूसरे राज्य के न्यायाधीश के लिये उनके साथ सामन्जस्य बिठाना कठिन होगा ।
3. इस प्रसंग में मैं आपको भारतीय स्टेट बैंक में उसके सहयोगी बैंकों के विलय का उदाहरण दोहराना चाहता हूं। यद्यपि मोटे तौर पर तो स्टेट बैंक समूह की प्रक्रियाएं व परिपाटियां एक ही थीं किंतु फिर भी उनमें मामूली अंतर था। विलय से पूर्व स्टेट बैंक समूह में आपस में अधिकारियों की प्रतिनियुक्तियां लगभग 25 वर्ष पहले शुरु हुई और इस अवधि में एक दूसरे की प्रक्रियाओं व परिपाटियों को जानने का सुअवसर मिला और इससे यह विलय सुगमतापूर्वक सम्भव हो सका।
4. अतेव आपको भी यह चाहिये कि आप निचले स्तर के सभी न्यायाधीशों से अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति के लिये विकल्प मांगें ताकि इच्छुक ऊर्जावान गतिमान प्रत्याशियों को प्रतिनियुक्त किया जा सके। इस हेतु कनिष्ठ न्यायाधीश स्तर के 5% , वरिष्ठ न्यायाधीश स्तर के 2% और उच्च न्यायिक सेवा स्तर के 1% अधिकारियों को प्रथम वर्ष में अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाये और इससे प्राप्त अनुभव के आधार पर अग्रिम योजना को अंतिम रूप दिया जावे जिससे योजना वास्तविक धरातल पर सफल हो सके।
5. योजना का प्रारुप तैयार करके जन विवेचना हेतु सार्वजनिक प्रदर्शन हेतु जारी किया सकता है किंतु इसमें बार व बेन्च की बजाय जनमत को प्राथमिकता दी जाये ।
6. प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने वाले अधिकारियों को मूल वेतन का 25% प्रतिनियुक्ति भत्ता केंद्रीय कोष से दिया जावे । इससे लाभांवित होने वाले अधिकारियों की संख्या लगभग 600 हो सकती है । प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों को एक वर्ष का अतिरिक्त वरिष्ठता लाभ भी पदोन्नति के उद्देश्य से दिया जा सकता है। इस प्रक्रिया को अपनाने से तीन वर्ष के भीतर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन को अंतिम रूप दिया जा सकता है ।
आशा है आप इसे उपयोगी पायेंगे और सकारात्मक ध्यान देंगें।
सादर ,
भवनिष्ठ दिनांक 20.07.19
मनीराम शर्मा
एडवोकेट , पूर्व प्रबंधक स्टेट बैंक
नकुल निवास
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जिला -चुरू (राज )
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