
केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों के जीवनसाथियों और आश्रितों की संपत्ति की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगना ‘‘असंगत और अवैध’’ है। हालांकि आयोग ने अधिकारियों से जुड़ी ऐसी जानकारी को उजागर करने की अनुमति दी है।
राकेश कुमार गुप्ता ने लगभग 100 अधिकारियों और उनके जीवनसाथियों की संपत्ति से जुड़ी जानकारी मांगने के लिए आयकर विभाग से संपर्क किया था। उन्होंने इन लोगों द्वारा पिछले 10 साल में जुटाई गई अचल संपत्ति का ब्यौरा भी मांगा था।
इस पर विभाग ने कहा कि वह ये रिकॉर्ड नहीं रखता है।
जब यह मामला सूचना आयुक्तों- बसंत सेठ और श्रीधर आचायरुलु- वाली आयोग की खंडीय पीठ के समक्ष पहुंचा तो गुप्ता ने , ‘‘लोकतंत्र के आदशरें, लोकपाल कानून के प्रावधानों और किसी व्यक्ति के खिलाफ लगे आरोपों’’ का हवाला दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘वह दूसरी अपील के लिए कोई ठोस कारण नहीं पेश कर सके।’’ पीठ ने कहा, ‘‘आयोग ने पाया कि अपीलकर्ता 100 अधिकारियों की संपत्तियों एवं देनदारियों से जुड़ी ‘थोक’ जानकारी चाहते थे। इससे उद्देश्य और मंशा को लेकर संदेह पैदा होता है। हालांकि, जिस एकमात्र कानूनी मुद्दे पर चर्चा की जानी है, वह लोकसेवकों द्वारा संपत्ति एवं देनदारियों की जानकारी उजागर करने के कर्तव्य से जुडी है।’’
( Source – पीटीआई-भाषा )