
उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी टी पी सेनकुमार की अवमानना याचिका पर आज केरल के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया। सेनकुमार ने आरोप लगाया है कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद उन्हें राज्य पुलिस प्रमुख के पद पर बहाल करने में विलंब किया गया है।
न्यायालय ने केरल सरकार पर 25 हजार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है जिसने अलग से एक आवेदन दाखिल करके सेनकुमार मामले में शीर्ष अदालत के 24 अप्रैल के निर्णय पर कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सेनकुमार की 29 अप्रैल की अवमानना याचिका पर मुख्य सचिव नलिनी नेट्टो को नोटिस जारी किया। इस मामले में अब नौ मई को सुनवाई होगी।ा सेनकुमार ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार और मुख्य सचिव जानबूझकर उन्हें बहाल करने के शीर्ष अदालत के आदेश की अवज्ञा कर रहे हैं।
सेनकुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ से कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को राज्य के पुलिस प्रमुख पद पर बहाल करने के 24 अप्रैल के शीर्ष अदालत के फैसले का राज्य सरकार ने ‘मखौल’ बनाया दिया है।
केरल सरकार के वकील ने पीठ से कहा कि सेनकुमार को बहाल करने की प्रक्रिया जारी है और राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है।
इस पर पीठ ने केरल के वकील से कहा, ‘‘यह कोई तर्क नहीं है। पुनर्विचार याचिका जब सुनवाई के लिये हमारे सामने आयेगी तब हम देखेंगे।’’ राज्य सरकार के वकील ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उस पर अर्थदंड नहीं लगाया जाये। उन्होंने यह भी कहा कि वह ये अर्जी वापस ले लेगा।
परंतु पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे अर्थदंड के साथ खारिज कर रहे हैं। हम 25 हजार रूपए के अर्थदंड के साथ आपको इसे:अर्जी: वापस लेने की अनुमति देते हैं।’’ पीठ ने कहा कि उसने सेनकुमार द्वारा पहले लगाये गये दुर्भावना के आरोपों पर गौर नहीं किया था परंतु राज्य सरकार ऐसी अर्जी दाखिल करके ‘एक तरह से’ उसकी पुष्टि कर रही है।
शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल को सेनकुमार को बहाल करने का आदेश देते हुये कहा था कि एलडीएफ सरकार द्वारा उनका स्थानांतरण करना ‘‘अनुचित’’ और ‘‘मनमाना’’ था।
( Source – PTI )