
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में जिला प्रशासन ने यमुना में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार मानी जा रहीं घनी आबादी के बीच स्थित दर्जनों औद्योगिक इकाइयों को अल्टीमेटम दिया है कि वे 15 दिन में अपनी यूनिट शहर से बाहर ले जाएं।
यमुना कार्य योजना के नोडल अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी :वित्त एवं राजस्व: रविन्द्र कुमार ने बताया कि यदि उक्त अवधि में इकाइयों को स्थानांतरित नहीं किया गया तो इनमें तालाबंदी कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि यमुना में प्रदूषण को लेकर उच्च न्यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना के बाद अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण :एनजीटी: में इसकी सुनवाई चल रही है।
एनजीटी के रुख के बाद अधिकारियों ने उद्यमियों को 15 दिन के अंदर उद्योगों को शहर के बाहर स्थापित करने को कहा है, अन्यथा सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है ।
जिलाधिकारी राजेश कुमार ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण, बिजली विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित सभी संबंधित अधिकारियों से कहा कि 15 दिन बाद वे इन उद्योगों को शहर से बाहर स्थापित करने के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई करें।
जिलाधिकारी के आदेश पर गुरूवार को आधा दर्जन इकाइयों की बिजली भी काट दी गई तथा अन्य को अपने कारखाने शहर से बाहर ले जाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। बताया जाता है कि घनी आबादी में आवासीय परिसरों में करीब 250 ऐसी इकाइयां चल रही हैं, जिन्हें यमुना में रासायनिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
ये इकाइयां वषरें से अपने यहां से निकला रासायनिक कचरा सीधे यमुना में डालने के लिए जिम्मेदार मानी जा रही हैं।
जिलाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि शहर के बीच चल रही इन सभी औद्योगिक इकाइयों को हर हाल में शहर के बाहर स्थापित होना होगा। इसके लिए कई बार समय दिया जा चुका है। अब 15 दिन का समय दिया गया है । उसके बाद अदालत के आदेश का सख्ती से अनुपालन कराया जाएगा।
( Source – पीटीआई-भाषा )