सनातन सम्मान का संघर्ष अकेले योगी आदित्यनाथ जी का दायित्व नहीं

सत्यता का वाचन करने वाला शासक ही मानवता व् समाज का हित कर सकता है। गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर व् उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज का जो बयान ज्ञानवापी के सम्बन्ध में आया है उस बयान का एक एक शब्द सत्य व् अकाट्य है । ये बात अलग है की सनातन में ही जन्म लेने वाले कुछ राजनेता मजहबी तुष्टिकरण का राजनितिक लाभ लेने हेतु सत्यता से विमुख होकर समाज में भृम प्रसारित कर रहे हैं परन्तु ऐसे लोगो को सोचना चाहिए की लाभ कितना ही बड़ा क्यों न हो एक संतान के साथ उसके माता पिता का नाम कभी नहीं बदला जा सकता महादेव इस ब्रह्माण्ड के सृजनकर्ता हैं जिन्हे सम्पूर्ण सनातनी समाज अपना पिता मानता है।जो समाज अपने आराध्य की आराधना के लिए संघर्ष न करके जातिगत राजनीति में पड़ा हुआ है शायद उन्हें अपनी निजी लाभ हेतु महादेव का अभिषेक करने का भी अधिकार नहीं है । भारतीय राजनीति में कुछ गिने चुने ही नाम शेष हैं जो निर्भीकता के साथ सत्यता को कह पाते हैं जिसमे से एक मुख्य नाम योगी आदित्यनाथ जी महाराज का है । परन्तु विडंबना यह है की हिन्दू समाज व्यक्तिगत लोभ के कारण सत्यता के मार्ग पर चलना नहीं चाहता इतना ही नहीं जो लोग इस मार्ग पर चल रहे हैं उनके मार्ग में रोड़े पत्थर डालने का काम भी यही समाज करता है । यदि आंकलन किया जाए तो यह सनातन समाज की कमजोरी ही है की सब कुछ सार्वजनिक होने के पश्चात भी कुछ मजहबी लोग अपने पूर्वजो के आतंक पर गौरान्वित होकर अपने समाज की संगठनात्मक शक्ति दिखाकर निराधार जिद्द कर रहे हैं । वास्तविकता में समय की मांग है की सम्पूर्ण सनातनी समाज अपने आत्मसम्मान , आराधना , साधना के संरक्षण हेतु उन लोगो का साथ दे जो इस लड़ाई को लड़ रहे हैं अन्यथा मजहबी लोग सिर्फ इसी प्रतीक्षा में हैं की किसी प्रकार हिन्दुतत्व के स्तम्भों को कमजोर करके सम्पूर्ण सनातनी समाज पर प्रहार किया जाए । जिन्हे ऐसा नहीं लगता तो वर्तमान में हरियाणा के मेवात की घटना अवश्य देखनी चाहिए की जिन हिन्दुओ ने मजहबियों को भाई मानकर अपने साथ बैठाया आज उन हिन्दुओ की क्या दुर्गति हो रही है । जिस प्रकार माता पिता या अपनी निजी संपत्ति को किसी के लिए नहीं त्यागा जा सकता ठीक उसी प्रकार अपने पूजा स्थलों व आत्मसम्मान को भी त्यागा नहीं जा सकता ।

दिव्य अग्रवाल

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