Homeविविधदेव दर्शन, गुरू दर्शन और मन दर्शन से काया होती है शुद्ध

देव दर्शन, गुरू दर्शन और मन दर्शन से काया होती है शुद्ध

नीमच। सत्संग प्यास नहीं बुझाता है। सत्संग तो परमात्मा के लिए प्यास पैदा करता है। जब मन वचन एक हो जाते हैं। तब जीवन में सुचिता आ जाती है।  देव दर्शन, गुरू दर्शन और मन दर्शन से काया शुद्ध हो जाती है। रामचरित्र मानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, जिसने रामचरित्र मानस का आश्रय कर लिया, उसके जीवन का उद्धार हो जाता है। जीवन को सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है रामचरित्र मानस।
यह विचार दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी ने गुरूवार को व्यक्त किए, वे स्व. कंचनदेवी-प्रेमसुखजी गोयल व स्व. रोशनदेवी-मदनलालजी चौपड़ा की स्मृति में गोयल एवं चौपड़ा परिवार द्वारा वात्सल्य सेवा समिति, अग्रवाल गु्रप नीमच व मंडी व्यापारी संघ के तत्वावधान में दशहरा मैदान नीमच में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन बोल रही थी। उन्होंने कहा कि साधु का काम सत्ता बदलना नहीं है। साधु तो व्यक्ति की सोच को बदलते हैं। धर्म हमें जो देता है। वह ऐसी सुरभी है, जो संसार नहीं दे सकता है। दीदी माँ ने कहा कि प्रभु उपासना में उपवास जरूरी नहीं है, लेकिन शरीर की शुद्धी के लिए उपवास करना चाहिए। उपवास करने से काया निरोगी रहती है। अगर जीवन को संयमित रखा है तो उपवास करना चाहिए। उपवास हमें भावनात्मक रूप से प्रभु से जोड़ता है। जो प्रकृति के साथ रहकर जीने का प्रयास करते हैं। वे हमेशा निरोगी रहते हैं। माता-पिता, भाई-बहन, पति और पुत्र-पुत्री के लिए रखा गया व्रत-उपवास रिश्तों को प्रगाड़ करता है। दीदी माँ ने कहा कि जिस तरह से गंगा की शुद्धी के लिए प्रक्षालन जरूरी है, उसी तरह परिवार में बहने वाल संस्कारों की गंगा का प्रक्षालन भी  जरूरी है। ताकि परिवार में संस्कार लंबे समय तक बने रहे। उन्होंने कहा कि सनातन जीवन को जीने की पद्धती है। सनातन वह वट वृक्ष है, जिसकी छाया में धर्म का विराट स्वरूप बना रहे और इसी में सब का भला भी है। दीदी माँ ने कहा कि मंदिर में हमेशा भगवान से मांगने जाते हो। कभी मिलने भी जाया करों।
दीदी माँ ने कहा कि राम तुम्हें भी बनना होगा, राम के पद चिन्हों पर चलना होगा। इतिहास को बदलना होगा। जो समाज के शोषक है, उन्हें हमें कुचलना होगा। उन्होंने कहा कि विजय दशहरा हम भारत में मनाते हैं।  कागज के रावण जलाते हैं, पर सचमुच का रावण तो जिंदा है, जिसे काम, क्रोघ और मोह के रूप में मन में पाले बैठे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में बुराईयों को आने नहीं देना चाहिए। अगर जीवन में बुराई आ जाती है तो जाते-जाते जीवन पर अपने निशान छोड़ जाती है। उन्होंने कहा कि दूसरों का आंकलन करना तो आसान है, लेकिन स्वयं का आंकलन व्यक्ति नहीं करता है। जो अपना आंकलन करता है। वही सजग व्यक्ति कहलाता है।
भाव विहल हो उठी दीदी माँ-
दीदी माँ ने राम वनवास प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि मंथरा ने केकई के मन में ऐसी आग लगाई कि जो केकई राम के राम के दर्शन मात्र से आनंदित हो जाती थी। वह राम को वनवान भेजने को आतुर हो गईऔर राम को वनवास जाना पड़ा। राम वनवास प्रसंग को सुनाते-सुनाते दीदी माँ ऋतम्भराजी भाव विहल हो उठी और प्रसंग का श्रवण करते-करते श्रद्धालुओं की आंखे छलक उठी। प्रसंग में दीदी माँ ने कहा कि राम को सीता संग 14 वर्ष का वनवास जाते देख माँ कौश्यला और राजा दशरथ के आंखों से अश्रु गंगा बह रही थी, लेकिन राजा दशरथ भी क्या करते। वे वचन में बंधे हुए थे। माता कौश्लया की की दशा को देख प्रभु राम ने कहा कि मुझे वनवास नहीं मिला वन के रूप में पिता और वनदेवी के रूप में माता मिली है, जिनके साथ मुझे रहना होगा। इस प्रसंग के दौरान श्रद्धालु भावुक हो उठे। दीदी माँ ने श्रद्धालुओं को कहा कि अगर माया, मोह में राम अयोध्या की सीमा में बंध कर रह गए होते तो कौन आसुरी शक्तियों का नाश करता।
राम गए वनवास प्रसंग पर भावुक हुआ कथा पांडाल-
श्री रामकथा में राम वनवास प्रसंग के दौरान राम, जानकी, लक्ष्मण वनवास का मंचन भी हुआ, जिसमें गोयल परिवार के सदस्यों ने राम, जानकी और लक्ष्मण के पात्र को निभाया। राम गौरव गोयल, जानकी मेघा और लक्ष्मण का किरदार धवल गोयल ने निभाया। इसके अलावा केवट  का पात्र जावरा के विनित ने निभाया।  कथा में अयोध्या नगरी बने वात्सल्य धाम से राम, जानकी, लक्ष्मण ने वन की ओर प्रस्थान की किया पूरा पूरा कथा पांडाल भावुक हो उठाऔर राम, जानकी के चरणों को छूने को  आतुर नजर आया। कथा में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष संपतलाल पटवा, समाजसेवी राकेश अरोरा, संघ के प्रांत प्रचारक योगेश शर्मा, सत्यनारायण गोयल, स्प्रींगवुड स्कूल की संचालिका चारूलता चौबे, वात्सल्स सेवा समिति के अध्यक्ष संतोष चौपड़ा, महामंत्री अनिल गोयल, कोषाध्यक्ष मदन पाटीदार,  अग्रवाल ग्रुप के अध्यक्ष कमलेश गर्ग, सचिव राहुल गोयल, कोषाध्यक्ष दुर्गेश लवाका, मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष राकेश भारद्वाज, सचिव राजेंद्र खंडेलवाल, कोषाध्यक्ष कमल बिंदल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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