कर्नाटक में ऐसे ‘चाणक्य’ बने अमित शाह
नई दिल्ली: देश में जिन -जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां बीजेपी अपना परचम लहरा रही है।यदि कहीं बहुमत में सरकार नहीं बनती है तो अमित शाह के ‘चाणक्य बनते ही उस राज्य में बीजेपी के हाथ में कमान आ जाती है।कुछ इस तरह का कर्नाटक में बीजेपी ने जिस तरह एंट्री की उससे और दलों में खलबली मच गई है। साथ ही कर्नाटक में सरकार बनने को लेकर जो झोल चल रहा था उस पर भी आज पूर्ण विराम लग चुका है। कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। खबरों की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने पहले येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगा दी थी, लेकिन सारे मसले हल होते हुए आज यानी 17 मई को येदियुरप्पा ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस चुनाव की जीत का श्रेय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को दिया है। साथ ही उन्होंंने शाह को कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक भी कहा था।देखा जाए तो इस चुनाव को जीतने के लिए शाह ने बहुत जी जान लगा दी थी। जीत का रुख अपनी तरफ मोड़ने के लिए अमित शाह ने रात दिन एक कर दिए थे। खबर है कि उन्होंने चुनाव की रैलियों के दौरान 28 जिलों के 57,135 किमी की यात्रा तय की है। चुनाव के प्रचार प्रसार के दौरान करीब 59 जनसभाएं और 25 से ज्यादा रोड शो भी किए हैं। यहां तक लिंगायत वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए उन्होंने कई मठों की यात्रा भी की।अमित शाह की इस मेहनत के बाद पिछले दो साल से हारने की टीस भी भूल चुके हैं। कहा जाता है चुनाव से पहले ही वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ इतना अच्छा नेटवर्क तैयार कर लेते हैं कि उसके बाद हार हाथ लगने का कोई सवाल ही नहीं उठता। बूथ लेवल से लेकर कई जिला स्तरीय की बैठक तक शाह ने कड़ी मेहनत की। पीएम के मुताबिक शाह कोई भी चुनाव हो उससे पहले ही उसके प्रचार प्रसार की कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।