नई दिल्ली: कर्नाटक में अभी भी सियासत जंग जारी है।सबसे बड़ी पार्टी बनकर बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली। लेकिन मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं ।इस बात से नाराज कांग्रेस और जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई आज होनी है। जस्टिस एके सिकरी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच कांग्रेस और जेडीएस की याचिका पर सुनवाई करेगी।आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 222 सीटों पर आए नतीजों में बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, वहीँ कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38, बसपा को 1 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं। ऐसे में बीजेपी ही कर्नाटक की सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन बहुमत कांग्रेस और जेडीएस के पास है। सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से बीजेपी ने अपना दावा पेश किया है। वहीं कांग्रेस ने मणिपुर और गोवा का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत उनके पास है इसलिए सरकार बनाने का मौका उन्हें मिलना चाहिए।
कांग्रेस और जेडीएस ने दायर की याचिका

सब घटनाक्रम एक बीच बुधवार की शाम राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया था, जिसके खिलाफ कांग्रेस और जेडीएस ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। कांग्रेस-जेडीएस ने कोर्ट के समक्ष संयुक्त याचिका दायर कर आग्रह किया था कि येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाई जाए क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है।

तीन घंटे चली बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के शपथ ग्रहण करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिनों का समय दिया है। साथ ही 24 घंटे के अन्दर अपने समर्थक विधायकों की लिस्ट कोर्ट में पेश करने एक आदेश भी दिया था। आज इसी मामले में सुनवाई होनी है।

आज है येदियुरप्पा की अग्निपरीक्षा

अगर आज कोर्ट में बीजेपी अपने 112 विधायकों की लिस्ट नहीं सौंपती है तो उसके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। फिलहाल अभी उसे 8 विधायकों का समर्थन हासिल करना है जो बहुत मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसे में अगर वो दो अन्य विधायक और एक बसपा विधायक का समर्थन हासिल कर लेती है तो उसकी संख्या 107 ही पहुंचती है। इसके बाद भी उसे पांच और विधायकों का समर्थन चाहिए, जो आसान नजर नहीं आ रहा है।

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