नई दिल्ली : मध्य प्रदेश और पंजाब समेत सात राज्यों में किसान यूनियनो ने अपनी मांगो को लेकर केंद्रीय सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय किसान आंदोलन का आव्हान किया है। यह आंदोलन एक जून यानी आज से शुरू हुआ है जिसके चलते किसान यूनियन ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में सब्जियों और दूध की सप्लाई को रोकने का ऐलान किया है। किसानो का यह आंदोलन सब्जियों के न्यूनतम मूल्य, समर्थन मूल्य और न्यूनतम आय समेत कई मुद्दों को लेकर किया गया है। राज्य सरकारों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शहरों में पुलिस की तैनाती कर दी है. कई जगह स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. अगर 10 दिन तक किसानों का यह आंदोलन चलता है तो शहर में सब्जियों और खाद्य पदार्थ को लेकर संकट खड़ा हो सकता है.
आंदोलन के दौरान किसानों ने किसी भी प्रकार के प्रोडक्ट को मार्केट तक पहुंचाने से मना किया है, चाहे वो सब्जी हो दूध हो या फिर कुछ और. शुक्रवार को शुरू हुए इस आंदोलन के तहत किसानों ने पुणे के खेडशिवापुर टोल प्लाजा पर 40 हजार लीटर दूध बहाया और सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया।
पंजाब के होशियारपुर में किसानों का जबर्दस्त प्रदर्शन देखने को मिला। यहां किसानों ने सड़कों पर दूध के टैंकर खाली कर दिए, सब्जियां भी फेंकी. ‘किसान अवकाश’ के दौरान पंजाब के लुधियाना में किसानों ने सड़क पर दूध बहाया। राज्य में कई जगह स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में किसानों ने सरकार के खिलाफ बंद का ऐलान किया है. मंदसौर के किसानों ने किसी भी हालत में सब्जी और दूध को शहर से बाहर भेजने से इनकार कर दिया है. यही नहीं, किसानों ने एमपी के मंदसौर में आंदोलन शुरू करने से पहले मंदिर में भगवान का दूध से अभिषेक किया। वहीँ मंडियों में सब्जी नहीं पहुंच रही साथ ही मंदसौर में कुछ किसानो ने छुपकर सब्जियों को सप्लाई किया है। 6 जून को राहुल मंदसौर का दौरा करेंगे जिसको लेकर शिवराज सरकार अलर्ट होगयी है। वहीँ उत्तर प्रदेश में भी आंदोलन का असर देखने को मिला है। यहां ताज नगरी आगरा में किसानों ने जमकर उत्पात मचाया। उन्होंने अपने वाहनों की फ्री आवाजाही कराने के लिए टोल पर किया कब्जा कर लिया और जमकर तोड़फोड़ की।

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