हरि शंकर व्यास
क्योंकि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ की जुबानी है इसलिए विचार जरूरी है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी गौर करना चाहिए। आखिर इन्हें अपने अमन के कबूतर उड़ाते हुए यह तो सोचना होगा कि वहां बंदूक ताने जो बैठा है उसकी दुम कितनी टेढ़ी है! वहां यों भी नवाज शरीफ, जो कि प्रधानमंत्री हैं, का अब ज्यादा मतलब नहीं है। उनका खानदार पनामा पेपर्स के काले धन की बदनामी से लथपथ है। अब पाकिस्तान में मतलब सिर्फ और सिर्फ सेना व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ का है। उन्होंने बिना बात के मंगलवार को भारत की मंशा का जो सवाल उठाया, भारत पर शक की जो सुई खड़ी की वह प्रमाण है कि पाक का सेना-नौकरशाह तानाबाना भारत से सामान्य रिश्ते कतई नहीं चाहता। जनरल शरीफ ने सीधे भारत का खुफिया एजेंसी रॉ का नाम लेते हुए कहा कि वह पाकिस्तान-चीन के बन रहे कॉरिडोर में फच्चर डाल रहा है। शरीफ विकास के मुद्दे पर आयोजित एक कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- मैं भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का विशेष जिक्र करना चाहूंगा। वह पाकिस्तान को अस्थिर करने में बेशर्मी से जुटी है। मगर मैं बता देना चाहता हूं कि हम किसी को पाकिस्तान के किसी हिस्से में बाधा, उथल-पुथल पैदा नहीं करने देंगे।’
क्या मतलब है इसका? जब भारत संयत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी येन केन प्रकारेण पाकिस्तान से संवाद बना रहे हैं। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के यहां पकौड़े खा आए हैं। आतंकी हमले के बावजूद परस्पर विश्वास पैदा करने के उपायों में जुटे हुए हैं और वहां की आईएसआई एजेंसी की गतिविधियों और मंशा को ले कर मौन साधा हुआ है तब जनरल राहील शरीफ कैसे अभी रॉ को ले आए?
ध्यान रहे पिछले महीने पाकिस्तान ने एक भारतीय नागरिक को जासूसी, ऱॉ एजेंट होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। भारत ने आरोप का खंडन किया है। पर अब यदि पाक सेना प्रमुख की जुबानी फिर रॉ का जिक्र हुआ है तो यह पुराने दौर की वापसी है। जनरल राहील ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का विकास भारत नहीं चाहता है। उन्होंने यह बात चीन के पश्चिमी प्रांत से पाक अधिकृत गिलगित क्षेत्र से पाकिस्तान के ईरानी सीमा से सटे समुद्री बंदरगाह ग्वादार तक 46 बिलियन डॉलर की लागत वाले विशाल हाईवे कॉरीडोर के संदर्भ में कही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का यह विकास भारत नहीं चाहता। भारत इसमें बाधा डाल रहा है। इसे चैलेंज कर रहा है।
संदेह नहीं कि चीन-पाकिस्तान का कॉरीडोर भारत के लिए चिंताजनक है। पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान ने जो चाहा मनमाना किया है। एक तरफ वह कश्मीर की आजादी की दुनिया में बात करता है तो दूसरी ओर उसने अपने कब्जे वाले कश्मीर को अपना प्रांत बनाया है। कुछ हिस्सा चीन को दे दिया। अब उसी में चीन की विस्तारवादी रणनीति में वह उसका सहायक है। भारत के लिए पाकिस्तान चिंताजनक है तो चीन भी है। यदि उसके सेना प्रमुख शरीफ सार्वजनिक तौर पर पाक-चीन के कॉरीडोर में भारत का फच्चर बता रहे हैं तो चीन में भी भारत को ले कर दस तरह के विचार बनेंगे। पाकिस्तान और चीन का सामरिक, राजनैतिक, आर्थिक साझा अंततः भारत के लिए भारी पड़ेगा, इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समझते होंगे तो भारत के सामरिक-विदेश मंत्रालय के बाबू भी।
सवाल है जनरल शरीफ के बयान को भारत कैसे ले? बयान से ज्यादा इससे झलकी मनोदशा का मतलब है। जनरल शरीफ ने अपने दिल–दिमाग की बुनावट जाहिर की है। पाकिस्तान की सेना का कोई भी जनरल रहा हो वह हमेशा भारत को दुश्मन मानता रहा है। जनरल अय्यूब खा, याह्यया खान से ले कर जनरल जिया, मुशर्रफ और जनरल राहील शरीफ सभी की ट्रेनिंग एक सी हुई है। उन्हें एक ही घुट्टी मिली है कि भारत दुश्मन है। भारत को हराना है और भारत को तोड़ना है और अंततः भारत पर राज करना है। पाकिस्तान के ये सेनापति इतिहास के वे ही घुड़सवार हैं जो खैबर के दर्रे से दनदनाते भारत आते थे और दिल्ली पर अपना कब्जा बना लेते थे।
जनरल राहील शरीफ उसी मंशा, उसी इतिहास का प्रतीक है। ठीक विपरीत भारत के प्रधानमंत्री यह सोचते रहे, यह मानते रहे कि वहां के प्रधानमंत्री से सुलह पटा कर अपने को सुरक्षित व महानायक बनाया जाता है। नेहरू ने लियाकत अली से समझौता किया। इंदिरा गांधी ने जुल्फीकार अली भुट्टो से किया तो अटलबिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने नवाज शरीफ के साथ मृगमरीचिका पाली।
ऐसा होना शायद भारत की सनातनी नियति है। भारत सदा-सनातनी पश्चिम के खैबर दर्रे या उसके पार के हमलावरों के प्रति लापरवाह देश रहा है। इतिहास में पहली बार यह हो रहा है कि पश्चिम और पूर्व दोनों याकि पाकिस्तान और चीन का कॉरीडोर भारत को घेरने के लिए बन रहा है। यह इतिहास का, भारत का विकटतम संकट है। इस बात को जनरल राहील शरीफ भी बूझते और समझते हैं इसलिए उन्हें स्वाभाविक तौर पर यह समझ आ रहा होगा कि भारत मन ही मन कितना बिलबिलाया हुआ होगा। भारत की रॉ एजेंसी सक्रिय होगी। वे भारत को होता खतरा बूझ रहे हैं इसलिए उन्हें चिंता है।